प्रधानमंत्री ने अफगानिस्तान की ताजा स्थिति पर रूसी राष्ट्रपति पुतिन से फोन पर की बात
नयी दिल्ली। नई दिल्ली। गहराते अफगान संकट और अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों व अफगानी हिंदू व सिखों को भारत लाने के अभियान के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कूटनीतिक और राजनयिक पहल की कमान खुद संभाल ली है। उन्होंने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से सीधी वार्ता की। इसके पहले उन्होंने जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल से निजी तौर विचार-विमर्श कर चुके हैं। कुछ और विश्व नेताओं से वह चर्चा करेंगे। विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी निरंतर इस अभियान में लगे हुए हैं। एनएसए अजित डोभाल प्रत्यक्ष और परोक्ष रणनीतिक चर्चा में लगे हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय मंच पर इन अभियानों के साथ प्रधानमंत्री मोदी आंतरिक मोर्चे पर भी एक राष्ट्रीय समन्वय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्हीं के निर्देश पर 26 अगस्त को सर्वदलीय बैठक बुलायी गयी है, जिसमें अफगानिस्तान के सवाल पर एक राष्ट्रीय सहमति बनायी जा सके।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने पारंपरिक भरोसेमंद मित्र रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से फोन पर अफगानिस्तान के बिगड़ते हालात पर 45 मिनट तक चर्चा की। भारत स्थित रूसी दूतावास ने मोदी और पुतिन की वार्ता के बाद एक बयान में कहा कि दोनों नेताओं ने आतंकवादी विचारधारा को नेस्तनाबूद करने और अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों के प्रवाह के खतरे के लिए सहयोग बढ़ाने का इरादा जताया तथा इस मुद्दे पर विमर्श के लिए एक स्थायी द्विपक्षीय प्रणाली विकसित करने पर सहमति जताई।
वहीं दूसरी ओर अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल से भारतीय नागरिकों और अफगान सहयोगियों को सुरक्षित लाने के भारत के जटिल मिशन का नाम आपरेशन देवी शक्ति रखा गया है। इस अभियान के नाम के बारे में तब पता चला जब विदेश मंत्री एस जयशंकर ने 78 और लोगों को अफगानिस्तान से लाए जाने के संदर्भ में मंगलवार को अपने एक ट्वीट में इसका उल्लेख किया। उन्होंने लिखा कि आपरेशन देवी शक्ति जारी है। काबुल से 78 लोगों को दुशांबे के रास्ते लाया गया।