- उच्च शिक्षा विभाग ने सभी राज्य विवि के कुलसचिवों को भेजा निर्देश
- सभी विवि में 70% एक समान पाठ्यक्रम पढ़ाएंगे और 30% अपनी स्थानीय जरूरत के अनुसार कोर्स करेंगे तैयार
- 80% वाहय मूल्यांकन और 20% आंतरिक मूल्यांकन होगा
लखनऊ। प्रदेश के विश्वविद्यालयों में अब सामान्य पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इसके लिए प्रदेश सरकार की ओर से सभी राज्य विश्वविद्यालय के कुलसचिवों को तैयार किए गए प्रस्ताव को भेजा गया है। अपर सचिव व कमेटी के संयोजक सचिव डॉ. आरके चतुर्वेदी ने आदेश जारी कर सभी कुलसचिवों को इस प्रस्ताव को अपने यहां पर लागू करें को कहा है।
प्रदेश सरकार ने सिद्धार्थ विश्वविद्यालय कपिलवस्तु के कुलपति प्रो. सुरेंद्र दुबे की अध्यक्षता में एक छह सदस्यीय समिति का गठन किया था। इस समिति ने अपनी रिपोर्ट बनाकर शासन को प्रस्तुत कर दिया है, जिसके बाद शासन ने कमेटी के प्रस्तावों को सभी विश्वविद्यालय के कुलसचिवों को भेजकर इस लागू करने को कहा है।
प्रो. सुरेंद्र दुबे की कमेटी ने सिफारिश की है कि प्रदेश की सभी राज्य विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाने वाला पाठ्यक्रम का 70 प्रतिशत कॉमन करने की सिफारिश की है। इसका सबसे ज्यादा फायदा उन छात्रों को होगा, जो कोर्स के बीच में एक विश्वविद्यालय को छोड़कर दूसरे विश्वविद्यालय में दाखिला लेते है।
इसके अलावा कमेटी ने सभी विश्वविद्यालय को 30 प्रतिशत पाठ्यक्रम अपने स्थानीय जरूरतों के हिसाब से कोर्स में शामिल करने की सिफारिश की है। इसके अलावा कोर्स में 80 प्रतिशत मूल्यांकन बाहर के परीक्षकों से 20 प्रतिशत मूल्यांकन अपने यहां के (आन्तरिक) परीक्षकों से कराने की सिफारिश की है।
स्नातक के अंतिम वर्ष में शामिल होगा कौशल विकास का पाठ्यक्रम
इसके अलावा कमेटी ने स्नातक यूजी कोर्सों के अंतिम वर्ष में छात्रों को कौशल विकास का पाठ्यक्रम पढ़ाए जाने की सिफारिश की है। यह पाठ्यक्रम कौन से होंगे और विभिन्न संकाय में कौन सा कौशल विकास का पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा। इसके लिए विश्वविद्यालय को अपने स्तर से तय करने की छूट दी है।
इसके अलावा इस कोर्स में छात्रों को कौशल विकास का पाठ्यक्रम चुनने के लिए कम से कम तीन विकल्प दिए जाएंगे। छात्र जब कौशल विकास का जो भी पाठ्यक्रम चुनेगा, उसमें तीन महीने की इंडस्ट्री ट्रेनिंग कराने का भी प्रावधान शामिल किया गया है। ऐसे में कोई भी विश्वविद्यालय ऐसे कोर्स को कौशल विकास के पाठ्यक्रम में नहीं शामिल कर सकेंगी जिसमें इंडस्ट्री ट्रेनिंग का विकल्प न हों।
57 सामान्य पाठ्यक्रम किए गए थे तैयार
इसे पहले साल 2011 में ऐसे ही कमेटी का गठन किया गया था। जिसमें पूरे प्रदेश में 57 पाठ्यक्रम का सामान्य पाठ्यक्रम तैयार करने की मंजूरी थी। जब लनखऊ विश्वविद्यालय ने इसे यह कहकर लागू करने से इंकार कर दिया था। उनका यहां पर जो पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है, वह सामान्य पाठ्यक्रम की तुलना में काफी आधुनिक है। ऐसे में एक बार फिर से लखनऊ विश्वविद्यालय सहित सभी राज्य विश्वविद्यालय में इस तरह की समस्या देखने को मिल सकती है।