शताब्दी वर्ष में प्रवेश किया लखनऊ विश्वविद्यालय ने, कुलपति ने कहा जितना जरूरी इतिहास जानना है। उतना ही जरूरी उसे रचना भी 

शैलेंद्र श्रीवास्तव
लखनऊ। लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति शैलेष कुमार शुक्ला ने कहा है कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर लिया और इस विश्वविद्यालय की निन्नायनबे वर्ष का इतिहास शानदार है। हर विद्यार्थी को अपने विश्वविद्यालय के इतिहास पर गर्व होना ही चाहिए। किंतु जितना जरूरी इतिहास जानना है। उतना ही जरूरी उसे रचना भी है। हमें इस बात का आत्म अवलोकन जरूरी करना चाहिए कि हमारे पूर्वजों व विवि के पुरूधाओं और छात्रों ने जो मानक स्थापित किए, जो भूमिका भविष्य के लिए स्थापित की, उसके अनुरूप 99वर्ष की यात्रा में हम कहां आएं है और आगे क्या करना है, ये कोई छोटा काम नहीं है।
यह विचार सोमवार को उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय के 100 वर्ष के प्रवेश होने पर शताब्दी उद्बोधन के दौरान मालवीय सभागार में प्रकट किए।  द्या ददाति विनयम्, विद्या के साथ-साथ अच्छा मानव बनने की जरूरत है। निश्चित रूप से यह विचार का विषय होना चाहिए कि विद्या और विनय का संगम क्यों टूट रहा है। मैं खाली विवि की बात नहीं कर रहा, पूरे प्रदेश और देश की बात कर रहा हूं। विद्या पाकर लोगों की विनय में कमी क्यों आ रही है। या विद्या देने की विधि में सुधार की जरूरत है या जो विद्या ग्रहण कर रहे, उसमें पात्र लोग विद्या नहीं ग्रहण कर रहे है। औद्योगिक क्रांति हुई के अलावा सूचना क्रांति, हरित क्रांति हुई और सब क्रांति हुई लेकिन शिक्षा में लगातार गिरावट आती चली गयी। आज आवलोकन का दिन है।
इस अवसर पर उन्होंने शिक्षकों को आइना दिखाया। साथ ही विवि का शताब्दी वर्ष का चिन्ह का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा वो दौर था, जब शिक्षकों को बहुत कम तनख्वाहें मिलती थी, साइकिल से आते थे। कुर्ता-पैजामा पहनते थे। विदेश में भी जाते थे और वहां पढ़ते भी थे लेकिन आज अंग्रेजी का शब्द ट्रांसफर आॅफ नॉलेज में कोई कमी नहीं थी। आज हम कहीं पिछड़े है ट्रांसफर आॅफ नॉलेज करने में। यदि इसकी शक्ति होती तो मेरा मानना है कि किसी विवि को किसी प्रवक्ता या प्रचार माध्यम की आवश्कयता नहीं होती है।
उन्होंने कहा कि देश ने जैसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर को संभाल कर रखा, उसी प्रकार विवि ने अपनी बौद्धिक धरोहर को बहुत संभाल कर रखा। आज के पीढ़ी के लोग उन लोगों के बलिदान को नहीं समझ पा रहे, जिन्होंने प्राण न्यौछावर देश को आजादी दिलायी। विश्वविद्यालय 99 वर्ष से 100 वर्ष में प्रवेश कर रहे है लेकिन आज की पीढ़ी यह नहीं जान रही है कि हमारा इतिहास क्या है। समारोह मनाने का दिन जरूर है लेकिन यह आत्म अवलोकन भी दिन है। विद्यार्थी समुदाय, शिक्षक समुदाय और समाज को देखने की जरूरत है। किसी भी विश्वविद्यालय की स्थापना समाज अपने हित के लिए करता है, किसी के निजी हित के लिए नहीं। समाज को भी देखना होगा कि हमारा बनाया हुआ विवि आज कहां है? शिक्षकों को भी यह भी देखना होगा कि हमें जो विरासत मिली, उसे हम कहां तक ले जा सकें। विद्यार्थियों को भी देखना होगा कि उस विरासत में हमारा क्या योगदान है और जो आगे क्या होगा। समय बदला है सूचना प्रौद्योगिकी के युग में बहुत सी चीजों में बदलाव आया है और नाते-रिश्ते भी बदले है। पहले एक दूसरे के घर जाकर बधाई देते थे, उसका तरीका बदल गया है। इस बदले हुए तरीके के परिवर्तन में अंगीकृत करना बहुत ही आवश्यक है।
पढ़ने की ललक से प्रदेश में बने 1920 तक तीन विवि
कुलपति ने कहा कि पहले देश में चार विवि थे और उत्तर प्रदेश में सीधे-सीधे तीन विवि स्थापित हुए, ये इस बात को दर्शाता है कि उप्र जिसे यूनाइटेड प्रीवेंस कहा जाता था, वहां के लोगों की बड़ी आवश्यकता थी, बड़ी ललक थी पढ़ने-लिखने की, उसका सरकार ने ध्यान देते हुए इलाहाबाद विवि और लखनऊ विवि दोनों ही अवासीय विवि के रूप में स्थापित किए गए। लविवि में शिक्षकों के काफी आवास है और छात्रों के लिए चार हॉस्टल से बढ़ते-बढ़ते संख्या 17 हो गयी। आज आठ संकाय है इसमें पुराने चिकित्सा पद्धति के आयुर्वेद व यूनानी संकाय भी है।
पीपीपी मॉडल पर स्थापित होगा कैरियर गाइडेंस एवं काउंसलिंग विभाग
प्रतिस्पर्धा के दौरान में फोकस रहना, टारगेट रखना है और इसकी विश्वविद्यालय में कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर उन्होंने घोषण करते हुये कहा कि शीध्र ही शताब्दी वर्ष में कैरियर गाइडेंस एवं काउंसलिंग विभाग की स्थापना की जायेगी। जो कि पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर स्थापित किया जायेगा। जो हमारे एल्युमिनाई है और समाज के अन्य लोग है, उनसे सहयोग लेंगे। इसमें कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। सभी विद्यार्थियों के  लिए यह सुविधा उपलब्ध होगी। इसका डेटा भी रखा जाएगा। इसमें ख्याति लब्ध कैरियर काउंसलर व पूर्व छात्रा डॉ. अमृता दास ने बिना किसी मानदेय व वेतन के अपनी सेवाएं देंगे।
प्रत्येक संकाय में खुलेंगे लैग्वेंज लैब
लखनऊ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को रोजगारपरक और उनके स्किल के विकास के लिए प्रत्येक संकाय में एक लैग्वेंज लैब की स्थापना की जाएगी। संवाद में जो कमी आती है, उसे तैयार करने और उच्चारण ठीक करने के लिए तैयार की जाएगी। शोध का आकलन के लिए एक इंस्ट्रुमेंटेशन सेंटर की स्थापना की जाएगी और एक 24घंटे सातों दिन वर्किंग कम्प्यूटर सेंटर की स्थापना होगी। विभागों के शोधों का तार्किक मूल्यांकन कराकर विभागों के इस्टुमेंट को इम्प्रूव करने के लिए मार्डनाइजेशन करने के लिए धनराशि में प्रावधान कराकर उन्हें भी धनराशि उपल्ब्ध करायी जायेगी। सूक्ष्म मूल्यांकन होगा, जो भी इस कसौटी पर आयेगा, उसे ही यह सुविधा मिल पाएगी। इसके अलावा विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र के लिए विवि न पड़े, इसके लिए आॅनलाइन व्यवस्था की जायेगी।
अंतर्राष्ट्रीय हॉस्टल की होगी स्थापना
विद्यार्थी सुविधा में अंतर्राष्ट्रीय हॉस्टल का निर्माण करेंगे ताकि बाहर के छात्र भी यहां पर आएं और यहां के छात्रों के लिए हॉस्टलों को ठीक करायेंगे। साथ ही उन्हें वाई-फाई सुविधा से जोड़ा जाएगा। तनाव मुक्ति के लिए हैपिनेस पॉलिसी बनायी, जो 28 नवम्बर की कार्य परिषद में पास कराने का प्रयास होगा। साथ ही विवि को एक साल में ग्रीनरी युनिवर्सिटी घोषित करने का प्रयास करेंगे।
दीक्षांत समारोह के 15 दिनों में हो पूर्व छात्र सम्मेलन
उद्बोधन के दौरान कुलपति ने प्रश्न उठाया कि सितम्बर में पूर्व छात्र सम्मेलन कैसे हुआ? जिस दिन दीक्षांत समारोह होगा, उसी के एक सप्ताह से 15 दिनों में पूर्व छात्र सम्मेलन होना चाहिए। पूर्व छात्र की वेबसाइट बनी है, जिसमें मात्र 177 लोगों ने नामांकन किया है।
पूर्व छात्र के बच्चों को प्रवेश में मिलेगी छूट
इस दौरान उन्होंने कहा कि पूर्व छात्र समिति के सदस्य के बच्चों को विश्वविद्यालय में प्रवेश के दौरान छूट दी जायेगी। यह छूट 3 से लेकर 5 प्रतिशत हो सकती है। इसका निर्धारण विवि प्रशासन की ओर से की जाएगी। साथ ही पूर्व छात्र लखनऊ आता है तो उसे नि:शुल्क अतिथि गृह में रूकने की व्यवस्था होगी लेकिन भोजन का भुगतान करना होगा। साथ ही पूर्व छात्र को शोध आदि अकादमिक कार्य में भी विवि से सहयोग मिलेगा।

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