-
कोआपरेटिव बैंक व सहकारी संस्थागत में हुई भर्तियों के हैं मामले
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के कार्यकाल में सहकारिता विभाग में हुई नियुक्तियों में भ्रष्टाचार के मामलों में मुख्यमंत्री ने शुक्रवार को दोषी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुक़दमा दर्ज करने का आदेश दिया है। मुख्यमंत्री ने मामले की जांच कर रही रही एसआईटी की रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने शुक्रवार को ट्वीट कर इस कार्रवाई की जानकारी दी है।
सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि आदेश के मुताबिक उत्तर प्रदेश को-ऑपरेटिव बैंक के सहायक प्रबंधक (सामान्य) एवं सहायक प्रबंधक (कंप्यूटर) की 2015-16 और प्रबंधक व सहायक, कैशियर पद पर 2016-17 में की गयी भर्ती में भ्रष्टाचार के आरोपों में यूपी को-ऑपरेटिव बैंक और सहकारी संस्थागत सेवामंडल, लखनऊ की तत्कालीन प्रबंध समिति के अधिकारियों व कर्मचारियों सहित सात आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की विभिन्न धाराओं में अभियोग पंजीकृत किया जाना है।
प्रवक्ता ने बताया कि एसआईटी जांच में को-आपरेटिव बैंक के तत्कालीन दो प्रबंध निदेशकों, हीरालाल यादव व रविकांत सिंह, सहकारी संस्थागत सेवामंडल के तत्कालीन अध्यक्ष रामजतन यादव, सचिव राकेश मिश्र, सदस्य संतोष कुमार श्रीवास्तव के साथ-साथ संबंधित भर्ती कंप्यूटर एजेंसी मेस्सेर्स एक्सिस डिजिनेट टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, लखनऊ के अलावा बैंक और सेवामंडल की प्रबंध समिति के अन्य अधिकारियों व कर्मचरियों के विरुद्ध भारतीय दंड विधान की धारा 420, 467, 468, 471 और 120 बी के तहत अभियोग पंजीकृत किये जाने की अनुशंसा की गई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने स्वीकार कर लिया है।
प्रवक्ता ने बताया कि इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने राज्य भंडारण निगम में साल 2013 व सहकारी ग्राम विकास बैंक लिमिटेड में साल 2015-16 में हुई भर्तियों के संबंध में चल रही एसआईटी जांच एक माह के भीतर पूरी कर जांच आख्या उपलब्ध कराने के भी आदेश दिए हैं।
योगी ने कहा है कि उत्तर प्रदेश में नौकरी का एकमात्र मानक मेरिट है। पूरी शुचिता और पारदर्शिता के साथ योग्य उम्मीदवार को ही नौकरी मिलेगी। इसमें गड़बड़ी की कोई गुंजाइश नहीं है। बावजूद इसके नियुक्तियों में भ्रष्टाचार हुआ तो दोषियों को जेल में ही ठिकाना मिलेगा।