लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोनभद्र जिले के उम्भा गांव में विवादित जमीन को लेकर पिछले महीने हुए सामूहिक कत्लेआम के मामले में रविवार को जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक को हटाते हुए प्रकरण से जुड़े कई अफसरों और कर्मचारियों पर मुकदमे दर्ज करने के आदेश दिए। मुख्यमंत्री ने यहां संवाददाता सम्मेलन में बताया कि सोनभद्र मामले में राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव और वाराणसी जोन के अपर पुलिस महानिदेशक की अध्यक्षता में गठित अलग-अलग समितियों की कल मिली रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करते हुए सोनभद्र के जिलाधिकारी अंकित कुमार अग्रवाल और पुलिस अधीक्षक सलमान जफर ताज पाटिल को हटाते हुए उनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू कर दी गई है।
योगी ने कहा कि राजपत्रित अधिकारियों में जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक, एक अपर पुलिस अधीक्षक, तीन पुलिस क्षेत्राधिकारी, सहकारिता और राजस्व विभाग से जुड़े अफसर के खिलाफ कार्यवाही की गई है। वहीं, अराजपत्रित अफसरों में तीन पुलिस इंस्पेक्टर, एक दारोगा, दो हेड कांस्टेबल, एक कांस्टेबल के खिलाफ भी निलम्बन और विभागीय कार्यवाही की गई है। योगी ने कहा कि उनका अनुमान है कि अकेले सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में ही फर्जी सोसाइटी गठित करके एक लाख एकड़ से ज्यादा जमीन हड़पी गई है। वर्ष 1972 में प्रदेश की कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा ने मंगलदेव विशारद की अध्यक्षता में एक जांच समिति गठित की थी, जिसने सरकार को सोनभद्र और मिर्जापुर समेत प्रदेश के अनेक जिलों में फर्जी कृषि समितियां गठित कर सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे किए जाने की बात बताई थी, मगर उनमें कांग्रेस नेताओं की संलिप्तता की वजह से कार्यवाही नहीं हुई।
उन्होंने कहा कि सरकार ने शुरुआती चरण में सोनभद्र और मिर्जापुर जिलों में ऐसी सभी समितियों की जांच करने के लिए राजस्व विभाग की अपर मुख्य सचिव रेणुका कुमार की अध्यक्षता में छह सदस्यीय एक समिति गठित की है जो सोनभद्र और मिर्जापुर में फर्जी सोसाइटी बनाकर सरकारी जमीन पर कब्जा करने और उसे अपने व्यक्तिगत रूप से उपयोग किए जाने के मामलों की जांच करके तीन महीने के अंदर रिपोर्ट देगी। योगी ने बताया कि 17 दिसम्बर 1955 को इस जमीन को आदर्श कृषि सहकारी समिति के नाम गलत तरीके से अंतरित करने का आदेश देने वाले तत्कालीन तहसीलदार कृष्ण मालवीय, अगर जीवित हैं तो उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा वर्ष 1989 में रोबर्ट्सगंज के तत्कालीन परगनाधिकारी अशोक कुमार श्रीवास्तव और तहसीलदार जयचंद सिंह के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं।
योगी ने बताया कि वर्ष 1989 में गलत तरीके से सोसाइटी के नाम दर्ज जमीन को अपने नाम से दर्ज कराने के मामले में आईएएस अफसर प्रभात कुमार मिश्रा की पत्नी आशा मिश्रा और आईएएस अधिकारी भानुप्रताप शर्मा की पत्नी विनीता शर्मा उर्फ किरन कुमारी के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने की कार्यवाही शुरू की गई है। उन्होंने बताया कि आदर्श कृषि सहकारी समिति के जीवित सदस्यों पर ग्राम सभा की जमीन हड़पने के आरोप में भारतीय दण्ड विधान की सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा घोरावल के तत्कालीन उपजिलाधिकारी, घोरावल थाने के तत्कालीन प्रभारी निरीक्षक, तत्कालीन क्षेत्राधिकारी समेत सभी अफसर, जो इस विवाद से जुड़े रहे हैं, उनके खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि सोनभद्र के सहायक अभिलेख अधिकारी राजकुमार को निलम्बित करके उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। इसके अलावा घोरावल के उपजिलाधिकारी विजय प्रकाश तिवारी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होगा। साथ ही पूर्व में निलम्बित घोरावल के पुलिस क्षेत्राधिकारी अभिषेक सिंह, उपनिरीक्षक लल्लन प्रसाद यादव, निरीक्षक अरविंद मिश्र और बीट आरक्षी सत्यजीत यादव के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्वाई करते हुए मुकदमा दर्ज करने के निर्देश दिए गए हैं।
योगी ने बताया कि अदालत के समुचित आदेश के बिना विवादित जमीन को खाली कराने के लिए ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया के पक्ष से एक लाख 42 हजार रुपए जमा कराने पर तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक अरुण कुमार दीक्षित के खिलाफ विभागीय कार्यवाही और मुकदमा दर्ज करने और कृषि सहकारी समितियांवाराणसी के सहायक निबन्धक विजय कुमार अग्रवाल को निलम्बित करते हुए मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि घोरावल के पुलिस क्षेत्राधिकारी विवेकानंद तिवारी, अभिषेक कुमार सिंह, राहुल मिश्र, निरीक्षक मूलचंद चौरसिया, आशीष कुमार सिंह, शिव कुमार मिश्र, पदमकांत तिवारी, मुख्य आरक्षी सुधाकर यादव, कन्हैया यादव और आरक्षी प्रमोद प्रताप के खिलाफ पक्षपातपूर्ण निरोधात्मक कार्वाई करने के आरोप में विभागीय कार्यवाही करने के आदेश दिए गए हैं।
योगी ने बताया कि मुकदमे दर्ज करके इस पूरे मामले की जांच विशेष जांच टीम (एसआईटी) करेगी। एसआईटी की अध्यक्षता उप महानिरीक्षक-एसआईटी जे. रवीन्द्र गौड़ करेंगे। एसआईटी में अपर पुलिस अधीक्षक अमृता मिश्रा और तीन पुलिस इंस्पेक्टर भी शामिल होंगे। एसआईटी के महानिदेशक आर.पी. सिंह इस टीम के काम की निगरानी करेंगे। उन्होंने बताया कि तत्कालीन तहसीलदार रोबर्ट्सगंज द्वारा 17 दिसम्बर 1955 को पारित आदेश के बाद उससे सम्बन्धित सभी कार्यवाहियों को अविधिक घोषित करते हुए पूरी जमीन ग्रामसभा में नियमानुसार निर्धारित प्रक्रिया के तहत दर्ज होने के बाद ग्रामीणों को नियमानुसार कृषि कार्य के लिए पट्टे पर दिए जाने के आदेश भी दिए गए हैं। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस विवाद की जड़ 10 अक्टूबर 1952 को आदर्श कृषि सहकारी समिति के गठन से पड़ी थी। बिहार से कांग्रेस के तत्कालीन विधान परिषद सदस्य महेश्वर प्रसाद नारायण सिंह और दुर्गा प्रसाद राय ने अपने 12 नातेदारों के साथ मिलकर गठित की थी। सिंह ने वर्ष 1955 में उम्भा और सपही गांव में ग्राम पंचायत की 1300 से अधिक बीघा जमीन को इस सोसायटी के नाम पर तहसीलदार मालवीय से साठगांठ करके गलत तरीके से दर्ज कराया था। सोसाइटी से जुड़े लोग सोनभद्र के नहीं बल्कि बिहार के निवासी थे। योगी ने कहा कि उस गलत काम के परिणामस्वरूप 1989 में सोसाइटी की जमीन को व्यक्तिगत नामों पर दर्ज किया गया। ये सारे विवाद यहीं से खड़े हुए। इनका दुष्परिणाम 17 जुलाई 2019 को घोरावल में सपा से जुड़े यज्ञदत्त के हाथों दुर्भाग्यपूर्ण घटना के रूप में सामने आया। मालूम हो कि गत 17 जुलाई को सोनभद्र के उम्भा गांव में करीब 90 बीघा जमीन को लेकर हुए विवाद में ग्राम प्रधान यज्ञदत्त भोटिया के पक्ष की तरफ से हुई गोलीबारी में 10 लोगों की मौत हो गई थी तथा 28 अन्य जख्मी हो गए थे।