नयी दिल्ली. खाद्य वस्तुओं विशेषरूप से सब्जियों के दाम में तेजी के बावजूद थोक मुद्रास्फीति में जुलाई में लगातार चौथे माह में गिरावट आई और यह शून्य से 1.36 प्रतिशत नीचे रही। हालांकि गिरावट की दर मासिक आधार पर कम हुई है। सब्जियों की कीमतों में 62.12 प्रतिशत की वृद्धि के कारण थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में जून में 4.12 प्रतिशत की गिरावट आई थी। पिछले साल जुलाई में यह 14.07 प्रतिशत थी।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति 14.25 प्रतिशत रही, जो जून में 1.32 प्रतिशत थी। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय ने सोमवार को कहा, जुलाई, 2023 में मुद्रास्फीति की दर में गिरावट मुख्य रूप से खनिज तेल, बुनियादी धातुओं, रसायन व रसायन उत्पादों, कपड़ा और खाद्य उत्पादों की कीमतों में कमी के कारण आई है।
केयर एज की मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि यदि खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ती रहीं, तो आने वाले महीनों में थोक मूल्य सूचकांक मुद्रास्फीति सकारात्मक दायरे में आ सकती है। ईंधन और बिजली खंड की मुद्रास्फीति जुलाई में शून्य से 12.79 प्रतिशत नीचे रही, जो जून में शून्य से 12.63 प्रतिशत नीचे थी।
विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति में मई में 2.51 प्रतिशत की गिरावट रही। जून में इसमें 2.71 प्रतिशत की गिरावट आई थी। बार्कलेज के ईएम एशिया (चीन को छोड़कर) आर्थिक अनुसंधान के प्रमुख राहुल बजोरिया ने कहा कि मासिक आधार पर थोक मूल्य सूचकांक में गिरावट की धीमी गति करीब पूरी तरह से सब्जियों की कीमतों के कारण है जो वास्तव में बढ़ी हैं। सब्जियों के अलावा अनाज तथा दालों में वृद्धि देखी गई जहां मुद्रास्फीति क्रमश: 8.31 प्रतिशत और 9.59 प्रतिशत रही।
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