लखनऊ। कही बैठने नही दे रहे है, दो दिन से मै और मेरे पापा भूखे है, बहराइच जाने के लिए लगातार पैदल चल रहे हैं अपने घर जाने के लिए। हो सके तो मेरी मदद करो। ये बाते मंगलवार को कानपुर के रामादेवी में हाइवे पर मजदूरी करने वाले 14 वर्ष के सुहावन ने रोते हुये लखनऊ के 1090 चौराहे पर वॉयस आॅफ लखनऊ के संवाददाता को आप बीती सुनाया।
बुधवार शांम 4 बजकर 30 मिनट पर 1090 चौराहे पर रामसुहावन 14 वर्ष, धर्मेन्द्र 16 वर्ष, राजेश 17 वर्ष समेत छह मजदूर रोते बिलखते बहराईच जा रहे थे। धर्मेन्द्र ने बताया कि तीन माह पहले ठेकेदार कानपुर के रामादेवी में हाईवे पर मजदूरी करने के लिए ले गया था। दो दिन पहले अचानक कह दिया कि भंयकर बिमारी चल रही है। सब लोग गांव चले जाओं। ठेकेदार ने फोन पर कह के फोन बंद कर दिया। चार दिन से न खाने को कुछ है और न ही गांव जाने के लिए कोई व्यवस्था है। ऐसे में पैदल ही कानपुर से बहराईच के लिए चल दिये है।
रामसुहावन के पिता दशरथ ने कहा कि दो दिन हो गया है कुछ भी नहीं खाया है। कही बैठने पर पुलिस परेशान कर रही है। बार-बार एक ही सवाल कर रही है। जहां थे वही क्यो नहीं रूक गये। सबको बताते-बताते थक जा रहे है कि हाईवे पर काम बंद होने के बाद कुछ खाने को भी वहां पर नही था। ऐसे में जान देने से अच्छा है कि गांव चले जाए। दशरथ ने बताया कि पानी तो दूर पुलिस डंडे से मारती है। दशरथ के आंशू पोछते हुए बेटा रामसुहावन ने कहा कि पापा हम घर पहुंच जायेंगे तो सब कुछ अच्छा हो जायेंगा।
पापा मत रों
सुहावन के साथ धर्मेन्द्र भी अपने पापा के साथ बहराईच जा रहा था। धर्मेन्द्र के पापा जब भी रोते तो धर्मेन्द्र एक ही बात कहता पापा मत रों दो तीन दिन मे हम लोग घर पहुंच जायेंगे। घर जाने पर खाना भी मिलेगा और अम्मा भी मिल जायेंगी।
चप्पल तक टूट गयी है
राजेश की उम्र कम होने के चलते उसे चलने में दिक्कत हो रही है उसके पापा ने एक सप्ताह पहले ही उसके लिए नया चप्पल खरीदा जिसे वह गांव ले जाना चाहता था। पर भगवान को कुछ और ही मंजूर थी। चप्पल भी सड़क पर चलते-चलते टूट गयी थी।
जब दही खाया
1090 चौराहे पर बने पराग बूथ से राहगीर ने दही खरीद कर सभी को भरपेट खिलाया और हाथ में पानी की बोतल दिया तो सभी के चेहरे खिल गये और सभी ने मुस्कराते हुए कहा अब चलने में आसानी होगी।