भगवान गणेश की आराधना करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है
लखनऊ। हिंदू पंचांग में हर महीने दो चतुर्थी तिथियां आती हैं कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी और शुक्ल पक्ष की विनायक चतुर्थी। दोनों ही तिथियां भगवान गणेश को समर्पित मानी जाती हैं। इस दिन गणपति बप्पा की भक्ति से पूजा और व्रत करने से साधक को विशेष कृपा प्राप्त होती है। इस वर्ष विनायक चतुर्थी 25 अक्टूबर 2025 (शनिवार) को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान गणेश की आराधना करने से सुख, सौभाग्य और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन के समस्त विघ्न और संकट दूर होते हैं। इस बार इस चतुर्थी पर शोभन योग और रवि योग जैसे दो शुभ संयोग बन रहे हैं, जो पूजा का महत्व और भी बढ़ा देते हैं। कार्तिक माह की शुक्ल चतुर्थी पर इस बार कई मंगलकारी योग बन रहे हैं शोभन योग, रवि योग, भद्रावास योग (रात्रि भर) इन योगों में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक के जीवन में सुख, सौभाग्य और समृद्धि का वास होता है।
विनायक चतुर्थी का महत्व
विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की आराधना करने से जीवन के सभी विघ्न दूर होते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा और नियमपूर्वक रखने से व्यक्ति को मनचाहा वरदान प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
विनायक चतुर्थी पूजा विधि:
विनायक चतुर्थी की पूजा दोपहर में की जाती है। यदि अभिजीत मुहूर्त और और भी अच्छा। चतुर्थी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इस दिन व्रतधारी लाल रंग के वस्त्र धारण करें। पूजा के समय भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। गणेशजी के समक्ष दीप दीप प्रज्वलित करें। श्रीगणेश की पूजा करते समय अपना मुंह पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर रखें। फल, फूल, रौली, मौली, अक्षत, पंचामृत आदि से श्रीगणेश को स्नान कराके विधिवत तरीके से पूजा करें। इसके बाद भगवान गणेश को 21 दूर्वा और लड्डू का भोग लगाएं। या तिल से बनी वस्तुओं, तिल-गुड़ के लड्डू तथा मोदक का भोग लगाएं। गणेश जी को दूर्वा अर्पित करते समय ॐ गं गणपतयै नम: मंत्र का उच्चारण करें। अब गणेश जी की कपूर या घी के दीपक से आरती करें। इसके पश्चात प्रसाद लोगों मे वितरित कर दें। तत्पश्चात गणेशजी की आरती करें। विधिवत तरीके से गणेश पूजा करने के बाद गणेश मंत्र ‘ॐ गणेशाय नम:’ अथवा ‘ॐ गं गणपतये नम: की एक माला (यानी 108 बार गणेश मंत्र का) जाप अवश्य करें।





