सांस्कृतिक विकास का मॉडल बना उत्तर प्रदेश : प्रो. मांडवी

बौद्ध शोध संस्थान में हुआ आयोजन, प्रबुद्धजनों ने की पुस्तक की सराहना

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के जीवन, संघर्ष, विचार और जनसेवा को प्रतिबिंबित करती पुस्तक जनसेवक जयवीर का भव्य विमोचन बुधवार को लखनऊ के बौद्ध शोध संस्थान, गोमतीनगर में संपन्न हुआ। प्रभात प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक का लोकार्पण शंख ध्वनि एवं वैदिक मंत्रोच्चार के साथ किया गया। कार्यक्रम में देश के शिक्षा, संस्कृति, साहित्य और सामाजिक क्षेत्र के कई गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्ज्वलन एवं वैदिक मंगलाचरण से हुई। तत्पश्चात मंचस्थ अतिथियों का पुष्पगुच्छ और पुस्तक से स्वागत किया गया। प्रकाशक डॉ. पीयूष कुमार ने स्वागत वक्तव्य में कहा कि यह पुस्तक एक जनप्रतिनिधि की गहराई से की गई जीवन-यात्रा का लेखा-जोखा है। इस अवसर पर जननायक जयवीर सिंह पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया, जिसकी दर्शकों ने सराहना की।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी, कुलपति, केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली ने पुस्तक के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जयवीर सिंह का जीवन राजनीति और जनसेवा के संतुलित समन्वय का उदाहरण है। यह पुस्तक न केवल एक राजनेता की यात्रा है, बल्कि प्रशासनिक नवाचारों और सांस्कृतिक चेतना की प्रेरक गाथा भी है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश वह राज्य है जहां देश में सबसे पहले आक्रमण हुए थे लेकिन यह राज्य सांस्कृतिक विकास का मॉडल बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के संकल्पों की वजह उपलब्धि हासिल हुई है। गर्व की बात है कि जयवीर सिंह सेनानायक की भूमिका में हैं। उन्होंने कहा कि कौटिल्य ने कहा है कि किसी भी राज्य विकास के लिए इंद्रिय विजय होना आवश्यक है। हमें इस बात का फक्र है कि हमारे प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री इन्द्रिय विजय यानि संयमी है। यही संयम पर्यटन मंत्री को भी ऊंचाइयों पर पहुंचा रहा है। भातखंडे संस्कृति विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर मांडवी सिंह ने कहा कि माननीय मंत्री जी का व्यक्तित्व बहुत ही सरल और सहज है। मैं दूसरी जगह उनकी मिसाल देती हूं। विशिष्ट अतिथि, जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने अपने उद्बोधन में कहा कि “जयवीर सिंह जी ने संस्कृति और आस्था के केंद्रों को सशक्त करने का जो कार्य किया है, वह सनातन मूल्यों की पुनर्स्थापना की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह पुस्तक उनके उसी कार्य का दस्तावेज है। यह पुस्तक प्रत्येक संघर्षशील व्यक्ति के लिए धर्म ग्रंथ है। पुस्तक के लेखक डॉ. वीरेंद्र कुमार एवं डॉ. सारिका ने लेखकीय वक्तव्य में बताया कि यह पुस्तक चार खण्डों में विभाजित है, जिसमें मंत्री जयवीर सिंह के प्रारम्भिक जीवन, राजनीतिक संघर्ष, पर्यटन और संस्कृति क्षेत्र में योगदान पर प्रकाश डालती है। इसमें उन पर प्रकाशित लेखों व चित्रावली को समाहित किया गया है। उन्होंने कहा कि “हमारा प्रयास रहा कि पाठक मंत्री जी की विचारधारा, प्रशासनिक दृष्टिकोण और लोकसेवा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता को गहराई से समझ सकें। कार्यक्रम में विशिष्ट रूप से उपस्थित पद्मश्री डॉ. विद्या विन्दु सिंह एवं प्रो. (डॉ.) सूर्य प्रसाद दीक्षित ने पुस्तक की सराहना करते हुए इसे नव पीढ़ी के लिए प्रेरणादायक दस्तावेज बताया। उन्होंने कहा कि जनसेवक जयवीर पुस्तक लोकसेवा, पारदर्शिता और संवेदनशील प्रशासन की जीती-जागती मिसाल है।

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