वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने शनिवार को बयान जारी कर कहा कि आगामी 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव स्वतंत्र भारत में अब तक के हुए चुनावों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण साबित होने वाले है।
इन चुनावों के साथ ऐसे मुद्दे जुड़े हैं जिनका लम्बे समय तक असर होना है। लोकतंत्र और संविधान पर खतरा मंडरा रहा है। महंगाई, भ्रष्टाचार और बेरोजगारी चरम पर है। खासकर महिलाओं तथा बच्चियों की जिंदगी रोज-ब-रोज असुरक्षित होती जा रही है। भाजपा इन गंभीर सवालों से किनारा कर इवेन्टस की राजनीति से जनता को भटकाना चाहती है।
उन्होंने कहा कि भाजपा की नफरती राजनीति का मुकाबला समाजवादी विचारधारा से ही हो सकता है। सपा विकास और निर्माण की बात करती है। उसकी नीति गरीबी और अन्याय के मुकाबले की है। सपा समाजवाद, लोकतंत्र और पंथनिरपेक्षता के लिए प्रतिबद्ध है। भाजपा को विकास कार्यों में दिलचस्पी नहीं है। वह संविधान को बदलने की साजिश कर रही है।
वर्ष 2024 के चुनाव की गंभीरता को समझते हुए सपा के सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों को विशेषकर इस बात पर ध्यान देना है कि मतदाता सूची में अपने समर्थकों के नाम न कटने पाये। भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव में हजारों समाजवादी समर्थकों के वोटों के साथ हेराफेरी कर सत्ता पर जबरन कब्जा कर लिया था। जनता समाजवादी सरकार की उम्मीद कर रही है।
अखिलेश यादव ने कहा कि इस बार सपा उत्तर प्रदेश की सभी 80 सीटों पर भाजपा-एनडीए को शिकस्त देने के लिए पीडीए, इंडिया गठबंधन को मजबूती देने के लिए संकल्पित है। पीडीए-इंडिया गठबंधन का जो भी प्रत्याशी घोषित हो उसे पूरी एकजुटता से जिताएंगे। पीडीए-पिछड़ा दलित और अल्पसंख्यक, अगड़े सभी मिलकर भाजपा सरकार को हटाने के लिए संकल्पित है।
सपा जातीय जनगणना कराकर सभी को समानुपातिक हक और सम्मान देने का काम करेगी। सपा सामाजिक न्याय की पक्षधर हमेशा से रही है। भाजपा जातीय जनगणना से बचना चाहती है ताकि उसे जातियों को उनका हक और सम्मान न देना पड़े। भाजपा सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करके आउटसोर्सिंग के माध्यम से भर्ती करके आरक्षण को भी समाप्त करना चाहती है।
अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार झूठ की बैसाखी पर टिकी है। भाजपा ने अपने पिछले संकल्प पत्र का एक भी वादा पूरा नहीं किया। उसके पास गिनाने के लिए अपना एक भी काम नहीं है। समाजवादी सरकार के समय हुए कामों को ही वह अपना बताने का झूठा ढोल पीट रही है। किसान, नौजवान, शिक्षक, व्यापारी, अधिवक्ता सहित समाज का हर वर्ग दु:खी है। भाजपा से निजात पाने के लिए सभी बेसब्री से 2024 के लोकसभा चुनाव का इंतजार कर रहे है।