लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को प्रदेशवासियों को जल के महत्व को समझाते हुए उनसे पानी की एक-एक बूंद सहेजने की अपील की है। तालाब, पोखरे आदि को बचाने और वर्षा जल संचयन को अपनी आदत में शामिल करने की जरूरत बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि भूगर्भ जल, बचत के उन रुपयों की तरह है, जो न केवल हमारा आत्मविश्वास बनाये रखते हैं, बल्कि गाढ़े समय में काम आते हैं।
मुख्यमंत्री यहां अपने सरकारी आवास पर प्रदेश के विभिन्न जिलों में तैयार 278 चेकडैम और तालाबों का लोकार्पण कर रहे थे। इस मौके पर जल संरक्षण की मुहिम को नयी दिशा देते हुए उन्होंने घोषणा की कि मौजूदा समय में 10 जिलों में लागू अटल भूजल योजना को बचे हुए 65 जिलों में भी लागूं किया जायेगा। वर्चुअल माध्यम से हुए कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल प्रबंधन एवं विनियमन अधिनियम-2019 के आधार पर भूगर्भ जल विभाग द्वारा विकसित वेब पोर्टल का औपचारिक लोकार्पण भी किया।
योगी ने कहा कि यह पोर्टल हर ब्लॉक में कूप पंजीयन, अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी करने, ड्रिलिंग एजेंसी के पंजीयन और विभिन्न विभागीय समस्याओं के निराकरण के लिए एकीकृत ऑनलाईन प्लेटफार्म है। अब तक इन कार्यों के लिए केंद्रीय एजेंसी के पास जाना होता था, लेकिन अब घर बैठे ही आवेदन कर प्रमाण पत्र लिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू और कृषि कार्यों में कूप के इस्तेमाल पर किसी भी तरह का शुल्क नहीं लगेगा। पोर्टल लोकार्पण के साथ ही उन्होंने विभिन्न जिलों में इसका लाभ उठा चुके उद्यमियों से संवाद भी किया। उद्यमियों ने इस एकीकृत व्यवस्था को बहुप्रतीक्षित बताते हुए इसकी शुरुआत के लिए मुख्यमंत्री के प्रति आभार भी जताया।
लोकार्पण समारोह में मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 में प्रदेश के लगभग 200 विकास खंड डार्क जोन घोषित थे। हमने इसकी जांच कराई तो पता चला 1994 में सर्वे हुआ था, उस आधार पर तय किया गया। फिर राज्य सरकार ने नया अधिनियम बनाया। सभी शासकीय भवनों को रेन वाटर हार्वेस्टिंग से जोड़ने का निर्णय लिया। हर नदी-नाले के पानी को बचाने, वर्षा जल के संचयन, तालाबों के पुनरोद्धार का निर्णय लिया। मिशन रूप में हुए काम का नतीजा मिला कि दिनों-दिन स्थिति सुधार हो रहा है। क्रिटिकल और सेमी क्रिटिकल क्षेत्रों की तादात कम हो रही है। भूगर्भ जल स्तर बढ़ रहा है।
योगी ने शुद्ध पेयजल की महत्ता की चर्चा करते हुए कहा कि जेई व एईएस जैसी बीमारी पानी के प्रति हमारी उदासीनता को दिखाती हैं। केवल साफ पानी देने भर से तमाम बीमारियों का खतरा खत्म हो जाता है। मुख्यमंत्री ने प्रदूषित जल को भूमि के भीतर प्रवाहित करने की प्रवृत्ति को भविष्य के लिए नुकसानदायक बताते हुए भूगर्भ जल को स्वच्छ रखने की ज़रूरत बतायी।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करते हुए उन्होंने कहा कि मथुरा और फिरोजाबाद जैसे क्षेत्रों में जहां खारे पानी की समस्या है, वहां वर्षा जल संचयन खारे पानी को मीठे जल में बदलने का अच्छा माध्यम है। उन्होंने किसानों से ड्रिप इरिगेशन प्रणाली अपनाने के लिए भी प्रेरित किया।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न जिलों में जल प्रबंधन के लिए प्रेरणादायी कार्य कर रही समितियों के प्रतिनिधियों से भी संवाद किया। औरैया के शिवनाथ सिंह ने सीएम को बताया कि उनकी ग्राम पंचायत में चेकडैम के निर्माण के बाद न केवल जलस्तर में सुधार हुआ है, बल्कि खेतों में सिचाईं के कार्य में भी फायदा हुआ है। इसी तरह मुरादाबाद के कुलदीप ने अपने क्षेत्र में नवनिर्मित तालाब की सुंदरता बयान करते हुए तालाब के माध्यम से हो रही मछली पालन की गतिविधियों से मुख्यमंत्री को अवगत कराया। झांसी के नरेंद्र सिंह और साथियों के सहयोग से नल लगवाए जाने की सराहना करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जल संचय सामूहिक जिम्मेदारी है। जनसहभागिता से ही यह कार्य सिद्ध हो सकता है।
योगी ने कहा कि जिन्होंने प्रकृति प्रदत्त इस अनुपम उपहार का मूल्य नहीं समझा, वह आये दिन अकाल, सूखा जैसी समस्याओं से जूझते रहते हैं। इस मायने में उत्तर प्रदेश पर प्रकृति और परमात्मा की असीम कृपा है कि यहां सतही जल और भूजल, दोनों ही पर्याप्त हैं। विंध्य और बुंदेलखंड जैसे क्षेत्रों में अगर आज हम शुद्ध पेयजल मुहैया करवा पा रहे हैं तो इसमें यही प्राकृतिक उपहार मुख्य कारक हैं। पर, हमारा आने वाला कल प्यासा न रहे इसलिए पानी बचाना ज़रूरी है।
इससे पहले जल शक्ति मंत्री डॉ.महेंद्र सिंह ने जल संचय के उद्देश्य से सुधर रही स्थिति के लिए मुख्यमंत्री के दूरदर्शी विजन को श्रेय दिया। उन्होंने बताया कि नवलोकर्पित चेकडैम और तालाबों की जियो टैगिंग करायी गयी है। इससे इनकी मॉनिटरिंग सुगमता से की जा सकेगी।