गणेश जी की पूजा करने से मानसिक तनाव दूर होता है
लखनऊ। विकट संकष्टी चतुर्थी हर साल वैशाख महीने की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। यह दिन भगवान गणेश को समर्पित होता है, जिनकी पूजा जीवन से दुखों और बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक व्रत रखने और रात को चंद्रोदय के समय गणेश जी की पूजा करने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में शांति आती है। संकष्टी चतुर्थी को लेकर यह भी मान्यता है कि इस दिन गणेश जी की पूजा करने से मानसिक तनाव दूर होता है और कामों में सफलता मिलती है। 2025 में यह व्रत 16 अप्रैल को मनाया जाएगा। इस दिन भक्तगण पूरे दिन व्रत रखते हैं और रात को चंद्रोदय के समय भगवान गणेश को अर्घ्य देकर पूजा करते हैं।
विकट संकष्टी चतुर्थी का महत्व
पौराणिक मान्यता है कि वैशाख माह की संकष्टी चतुर्थी विशेष फलदायी होती है। इस दिन व्रत रखकर और चंद्रोदय पर पूजा कर गणेश जी को प्रसन्न किया जाता है। यह व्रत दुख, रोग, विघ्न और आर्थिक संकटों से मुक्ति दिलाने वाला होता है। ऐसा कहा जाता है कि इस व्रत से घर-परिवार में सुख-शांति, सौभाग्य और संतोष का वास होता है।
विकट संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और शांत मन से व्रत का संकल्प लें। इस दिन दिनभर उपवास रखने की परंपरा है। घर के पूजा स्थल को साफ कर एक लाल या पीले वस्त्र पर भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। अगर प्रतिमा न हो, तो एक साबुत सुपारी को गणेश जी का रूप मानकर पूजा करें। अब भगवान गणेश को पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और शक्कर) से स्नान कराएं, फिर स्वच्छ जल से उन्हें शुद्ध करें। इसके बाद गणेश जी को सिंदूर, अक्षत, चंदन, गंध, गुलाल, फूल, दूर्वा और जनेऊ अर्पित करें। उनकी प्रिय मिठाई मोदक और मौसमी फल उन्हें भोग स्वरूप चढ़ाएं। शाम को चंद्रोदय के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद भगवान गणेश की दीप-धूप से आरती करें और अंत में व्रत का पारण करें।