वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत प्रधानाचार्य और शिक्षकों के सेवा नियमावली में हुए संशोधन को लेकर शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है। बीते 9 अक्टूबर को शिक्षकों ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा के कार्यालय पर घेराव कर अपनी मांगों से संबंधित प्रस्ताव मुख्यमंत्री को भेजा था लेकिन एक सप्ताह बाद भी उनकी मांगों पर शासन की तरफ से कोई भी निर्णय नहीं हुआ है। ऐसे में शिक्षक एक बार फिर से अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए बड़े प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
शिक्षकों की ओर से नवम्बर में लखनऊ में शिक्षक अधिकार बचाओ अभियान का आयोजन करने जा रहा है, जिसमें पूरे प्रदेश के करीब 65 हजार के आसपास माध्यमिक शिक्षा परिषद के शिक्षक को लखनऊ बुलाने की तैयारी है। शिक्षक संघ का कहना है कि नवंबर में होने वाले महारैली के माध्यम से हम एक बार फिर से सरकार पर अपने प्रस्ताव पर दोबारा से विचार करने का मांग करेंगे यदि सरकार की तरफ से उसके बाद भी कोई निर्णय नहीं लिया जाता है तो शिक्षक संघ बोर्ड परीक्षा में असहयोग करने पर भी विचार करेगा।
रमाबाई अंबेडकर मैदान पर हो सकती है शिक्षकों की महारैली
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के सदस्य मंत्री व प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि सरकार शिक्षक भर्ती के लिए नई नियमावली व आयोग लेकर आयी है। उसे प्रदेश के शिक्षक समाज को काफी नुकसान होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे न केवल शिक्षकों का अधिकार खत्म होगा, बल्कि आने वाले समय में सरकारी शिक्षकों के पद पूरी तरह से समाप्त कर दिये जायेंगे। इसी को बचाने के लिए संघ ने 9 अक्टूबर को महानिदेशक स्कूल शिक्षा कार्यालय पर धरना प्रदर्शन किया था।
अब इसी कड़ी में प्रदेश के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यालय प्रधानाचार्य और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा बहाली एवं शिक्षक चयन बोर्ड 1982 की धारा 21 को बचाने के लिए नवम्बर में एक महारैली का आयोजन करने जा रहे हैं। इस महारैली से उत्तर प्रदेश शिक्षा चयन आयोग विधेयक में पास किये गये प्रावधानों को वापस लेने व धारा-16 के अनुसार सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों के सेवा शर्तों और सुरक्षा एवं इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम-1921 के नियमों के अध्याय-3 को दोबारा से लागू करने की मांग की जाएगी।
डॉ. मिश्रा ने कहा कि सरकार ने जो नया विधेयक बनाया है उसे विद्यालय प्रबंधकों के हाथों में शिक्षकों के उत्पीड़न का पूरा अधिकार दे दिया गया है। उन्होंने बताया कि महारैली के बाद सरकार को मांगों पर विचार करने के लिए कुछ समय दिया जाएगा यदि उसके बाद भी सरकार हमारी मांगों पर विचार नहीं करती है तो बोर्ड परीक्षा में भी शिक्षक असहयोग कर सकते हैं, हालांकि इस पर निर्णय अगले साल लिया जाएगा।
उन्होंने बताया कि सरकार ने चयन बोर्ड अधिनियम की धारा-21 की व्यवस्था को नए आयोग अधिनियम में भी संशोधन करके लायी है। लंबे संघर्ष के बाद चयन बोर्ड की नियमावली बनी थी। इससे बिना जांच पूर्वानुमान बढ़ेगा प्रबंधन की कार्रवाई शून्य मानी जाती थी लेकिन अब नये अधिनियम में मनमानी तरीके से शिक्षकों पर कार्रवाई का दबाव बढ़ जाएगा।
नये विधेयक के नियमों से शिक्षक को आपत्ति
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्रा ने बताया कि शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में शिक्षकों की सेवा सुरक्षा और पदोन्नति संबंधी तीन धाराओं को हटा दिया गया है। सेवा सुरक्षा संबंधी धारा 21 के हटने से प्रबंधक को बिना आयोग की अनुमति के शिक्षक के वेतन काटने और कार्रवाई का अधिकार मिला है। तदर्थ पदोन्नति संबंधित धारा 18 को हटाने से इंचार्ज के रूप में काम कर रहे वरिष्ठ शिक्षक को अब वेतन नहीं मिलेगा।
पहले 60 दिनों में उसकी पदोन्नति करने का अधिकार था। पदोन्नति संबंधी धारा-12 हटने से जेडी, उप शिक्षा निदेशक और डीआईओएस की जगह अब डीआईओएस के पास पदोन्नति के अधिकार होंगे ऐसे में भ्रष्टाचार बढ़ेगा। उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग, 2003 की धारा 11(6) को हटाने शिक्षा सेवा चयन बोर्ड में नई धारा को जोड़ा गया है।
इसके तहत आयोग से शिक्षक अथवा प्रधानाचार्य के चयन होने के बाद उसे ज्वाइन कराने की जिम्मेदारी डीआईओएस पर होगी। पहली बार में चयनित शिक्षक ज्वाइन नहीं करता है तो डीआईओएस रिमाइंडर भेजेंगे। समय रहते शिक्षक ने पद ज्वाइन नहीं किया तो इस धारा के तहत विद्यालय से उस पद को ही समाप्त कर दिया जाएगा।
प्रदेश के सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज में कार्यरत प्रधानाचार्य और शिक्षक
– कुल प्रधानाचार्य की संख्या-1505
– कुल प्रवक्ताओं की संख्या- 16141
– कुल सहायक शिक्षकों की संख्या- 45869
– प्रदेश में कुल सहायता प्राप्त विद्यालयों की संख्या- 4512