सावन के तीसरे सोमवार पर शिवालयों में लगी भक्तों की कतार, श्रद्धालुओं ने भगवान शिव के दर्शन के साथ किया जलाभिषेक
लखनऊ। श्रावण के तीसरे सोमवार पर सुरक्षा इंतजामों के साथ श्रद्धालुओं ने भगवान भोलेनाथ के दर्शन किए। राजधानी के ऐतिहासिक सिद्धपीठ मनकामेश्वर मंदिर में महंत देव्या गिरि ने भोर आरती के साथ ही मंदिर के कपाट खोल दिए थे। सुबह से दोपहर तक श्रद्धालुओं की कतार लंबी हो गई। सावन सोमवार के कारण शहर के शिवालयों में भगवान शिव के भजन सुबह-सुबह ले शिव का नाम, शिव आयेंगे तेरे काम…, मेरा भोला है भंडारी, करे नंदी की सवारी शंभु नाथ रे…जैसे भजनों से पूरा माहौल भक्तिमय बना हुआ था। सुबह से शुरू हुआ दर्शन का सिलसिला देर शाम तक चलता रहा। भोर से ही शिवालयों में बम भोले और हर-हर महादेव के जयकारे गूंजते रहे। देर रात से ही भक्तों की कतार लग गई। सदर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर में भालेनाथ ने बाबा बफार्नी रूप में दर्शन दिए। रंगीन बर्फ से बाबा बफार्नी का शृंगार हुआ। वहीं डालीगंज स्थित मनकामेश्वर मन्दिर में देर रात से भक्तों की कतार लग गई। भोर चार बजे हुई आरती के साथ कपाट खुले। कपाट खुलते ही शिव शम्भू के जयकारे से मन्दिर परिसर गूंज उठा। 51 लीटर दुग्ध और पांच नदियों के जल से भोलेनाथ का अभिषेक हुआ। भोलेनाथ का हरियाली शृंगार हुआ। पूरे दिन मंदिर में रुद्राभिषेक होता रहा। भक्तों ने दुग्ध और जलाभिषेक किया। ढ़ोल, नगाड़ा, तासा और शंख ध्वनि के बीच बाबा के जयकारे लगे। महंत देव्या गिरि ने भोलेनाथ की आरती उतारकर देश में शांति और सुख समृद्धि की कामना की।
हुआ भव्य श्रृंगार
राजधानी के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में तड़के महाआरती के बाद मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खोल दिए गये। जहां भोले को जल चढ़ाने के लिए भक्त अपनी बारी का इंतजार करते नजर आये। इस दौरान हर.हर महादेव और बोल बम से पूरा परिसर गूंजायमान हो उठा। भोले को जल चढ़ाने के बाद भक्तों के चेहरों की रौनक देखते ही बन रही थी। दूसरी ओर चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मंदिर में भोले का फूलों से भव्य श्रृंगार किया गया। साथ ही, ठंडाई बतौर प्रसाद भक्तों में वितरित की गई। यहां भी देर शाम तक भक्तों के आने का सिलसिला जारी रहा।
हुई भस्म आरती
दूसरी ओर राजेंद्र नगर स्थित महाकाल मंदिर में तड़के उज्जैन की तर्ज पर भस्म आरती का आयोजन किया गयाए जिसमें सैकड़ों भक्तों ने हिस्सा लिया। इसके बाद मंदिर के द्वार भक्तों के लिए खोल दिए गये। भोले के भक्त अपने आराध्य के दर्शन पाकर खुद को भाग्यशाली मान रहे थे। वहींए सदर स्थित द्वादश ज्योतिर्लिंग महादेव मंदिर में भी फूलों से श्रृंगार किया गया। साथ हीए रुद्राभिषेक का आयोजन भी हुआ। यहां भक्तों की भारी भीड़ बनी रही।
घरों में हुआ पूजन
महादेव के भक्तों द्वारा घरों में भी पूजन.अर्चन किया गया। भक्तों द्वारा घरों में रुद्राभिषेक का आयोजन हुआ। साथ हीए भोलेनाथ से मन की मुरादें भी मांगी। इस दौरान घरों में रौनक देखते ही बन रही थी।
छोटा व बड़ा शिवाला में बाबा का किया शृंगार:
चौक के छोटा व बड़ा शिवाला के साथ ही कल्याण गिरि मंदिर में पुजारी ने बाबा का श्रृंगार किया और श्रद्धालुओं ने बाहर से ही दर्शन किए। कोनेश्वर मंदिर और कोतवालेश्वर मंदिर में केवल पुजारी ने ही बाबा का श्रृंगार किया। हनुमान सेतु मंदिर परिसर के शिव लिंग के दर्शन भी बाहर से किए गए। गुलाचिन मंदिर, पिपलेश्वर महादेव मंदिर, मौनी बाबा मंदिर, तुलसी मानस मंदिर और इंद्रेश्वर मंदिर समेत राजधानी के सभी शिव मंदिरों में सुरक्षा बंदोबस्त के बीच श्रद्धालुओं ने भगवान शिव की आराधना की। बाबा सिद्धनाथ के मंदिर में जलाभिषेक के विशेष इंतजाम के साथ श्रद्धालुओं ने पूजा-अर्चना की।
108 कमल के फूलों से बाबा का शृंगार:
चौक स्थित कोतवालेश्वर महादेव मंदिर में भोर में जलाभिषेक के साथ भोलेनाथ का पूजन शुरू हुआ। बाबा ने पगड़ी पहन कर राजा स्वरूप में दर्शन दिए। बाबा का मेवे, राजमा और फूलों से शृंगार हुआ। महंत विशाला गौड़ ने बताया कि पूरे सावन भोलेनाथ का जलाभिषेक कर पूजन की होग। ठाकुरगंज स्थित कल्याण गिरि मंदिर में 108 कमल के फूलों से बाबा का शृंगार हुआ। मन्दिर परिसर दीपों से जगमगा उठा। भोलेनाथ को 56 भोग अर्पित किए गए। चौपटिया स्थित बड़ा शिवालय में सुबह से ही भक्तों ने पहुंचकर दुग्ध और जल से अभिषेक किया।
श्री नागेश्वर महादेव मंदिर में लगे जयकारे:
आशियाना स्थित मुगलकालीन श्री नागेश्वर महादेव मंदिर में श्रवण मास में भक्तों का तांता लगा रहता है। इसबार सावन माह में कोरोना महामारी के कारण सोशल डिस्टेंसिंग के साथ भक्तों ने भगवान भोले के दर्शन किये। मंदिर प्रशासन ने सेनेटाइजर की खास व्यवस्था की थी। मंदिर के पूजारी ने बताया कि आम दिनों में सांयकालीन बेला में महाआरती के समय भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है घंटियों वह डमरु की आवाज शिव मंदिर गूंज उठता है मंदिर प्रबंधक देवी प्रसाद तिवारी ने बताया कि दिव्य शिवलिंग पर रुद्राभिषेक कराने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है यहां पर विश्वास भावना से मंदिर परिसर में हर साल गरीब निर्धन कन्याओं का विवाह कराया भी जाता है मंदिर में स्वर्ण मास के अंतिम सोमवार को जनकल्याण की भावना व संतुष्टि के लिए भव्य रुद्राभिषेक का आयोजन किया जाता है जिसमें कोई भी भक्त मुख्य जजमान की भूमिका निभा सकता है।