- संत गाडगे जी महाराज सभागार में हुआ पं. बिरजू महाराज जयन्ती समारोह
कथक और पं. बिरजू महाराज एक-दूसरे के पर्याय : जयवीर सिंह
लखनऊ। बिरजू महाराज कथक संस्थान, लखनऊ (संस्कृति विभाग, उ.प्र.) द्वारा पं. बिरजू महाराज की 88वीं जयंती पर समारोह का आयोजन संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह गोमती नगर में किया गया। समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। उन्होंने पद्म विभूषण पं. बिरजू महाराज को उनकी जयंती पर याद करते हुए कहा कि कथक और पं. बिरजू महाराज एक-दूसरे के पर्याय हैं। पं. बिरजू महाराज ने कथक के साथ संगीत की अन्य विधाओं के क्षेत्र में भी देश-दुनिया में नाम रोशन किया। उत्तर प्रदेश सरकार कला, संगीत के क्षेत्र में कलाकारों को प्रोत्साहित करने के लिए सतत प्रयास कर रही है। संस्कृति विभाग ने इसका संकल्प लिया है।
कलाकारों का आॅनलाइन रजिस्ट्रेशन किया जा रहा है। 12 हजार से ज्यादा कलाकार पंजीकृत हो चुके हैं। पद्म विभूषण स्व पं० बिरजू महाराज जी प्रसिद्ध कथक नर्तक होने के साथ एक कुशल नायक एवं रचनाकार भी थे। कथक नृत्य के लखनऊ कालिका बिन्दादीन घराने से ताल्लुक रखने वाले बिरजू महाराज जी को कथक सम्राट के नाम से भी जाना जाता है। महाराज जी ने कथक नृत्य में नए आयाम स्थापित किये। नृत्य नाटिकाओं को जोड़कर उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया तथा उन्होंने कधक के प्रचार एवं प्रसार हेतु कलाश्रम्, दिल्ली की स्थापना भी की। पं. बिरजू महाराज जी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार एवं कालिदास सम्मान एवं वर्ष 1986 में पद्मविभूषण की उपाधि से सम्मानित किया गया। वर्ष 2018 में हिन्दी फिल्म बाजीराव मस्तानी में नृत्य निर्देशन हेतु फिल्मफेयर अवार्ड एवं वर्ष 2021 में फिल्म विश्वरूपम् के नृत्य निर्देशन हेतु राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। दर्शकों से खचाखच भरे समारोह में मंचीय प्रस्तुतियों की शुरूआत बिरजू महाराज जी की शिष्या वाराणसी की डॉ. दीपान्विता सिंघा रॉय की एकल प्रस्तुति से हुई। सहयोगी कलाकार सारंगी- जीशान अब्बास, तबला- उदय शंकर मिश्र, सितार-नीरज मिश्रा, गायन एवं हारमोनियम- नम्रता गुप्ता, पढ़ंत रूद्रशंकर मिश्र थे। समारोह की द्वितीय प्रस्तुति सामूहिक कथक नृत्य था, जिसे प. बिरजू महाराज की वरिष्ट शिष्या कथक गुरु मालती श्याम के निर्देशन में कथक केन्द्र नई दिल्ली के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया। यह प्रस्तुति बसंत ऋतु पर आधारित थी, जिसके बोल सब भाँति सुहाई ऋतु बसंत थे। कथक नृत्य कलाकार डोलमा गुप्ता, पल्लवी जैन, लक्ष्मण साहू, श्रेष्ठा जखमोला, हर्षिता द्विवेदी, बादल बैरिहा, ईप्शिता गांगुली, सोनाली सैलानी, सिमरन पासपोला, तरुषि रजोरा, ऋचा बलूनी, प्रज्ञा गोस्वामी। सहयोगी कलाकार तबला-श्री योगेश गंगानी। सारंगी-श्री नासिर खान। पखावज-हर्षद लाल, गायन एवं हरमोनियम समीउल्लाह खान, बांसुरी-सिद्धार्थ डलबेहरा, सितार- मेहराब हुसैन। इससे पूर्व बिरजू महाराज कथक संस्थान के निदेशक रविन्द कुमार ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पं. बिरजू महाराज अपने कथक नृत्य के माध्यम से ही कहानी बयां कर देते थे। प्रदेश के कलाकारों के लिए संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह का सख्त निर्देश है कि प्रदेश के दूरस्थ स्थानों पर रहने वाले कलाकारों को भी मंच पर आने का मौका मिले। बिरजू महाराज कथक संस्थान की अध्यक्ष कुमकुम धर ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि संस्थान कथक नृत्य को ग्रामीण क्षेत्रों तक पहुंचाने का अभियान चला रहा है। समारोह में भातखंडे संगीत विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह, पर्यटन विभाग के सलाहकार जे.पी. सिंह, संस्थान के उपाध्यक्ष डॉ. मिथिलेश तिवारी, सहायक निदेशक तुहिन द्विवेदी, बिरजू महाराज के चचेरे भाई वरिष्ठ कथक नर्तक राममोहन आदि मौजूद थे। संचालन अदिति थपलियाल ने किया।