नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को कहा कि जिन देशों ने आतंकवादियों को तैयार किया और उन्हें दूसरे देशों में भेजने का काम किया ,वे भी अपने आप को आतंकवाद के पीड़ित के रूप में पेश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस बुराई को समर्थन देने वाले ढांचों को बंद करने के लिए वैश्चिक तंत्र बनाने की जरूरत है।
पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय दवाब के कारण आतंकी समूहों और संबंधित आपराधिक गिरोहों को मदद, प्रशिक्षण और निर्देश देने में संलग्न एक देश को अंतत: अनिच्छा से उसके क्षेत्र में वांछित आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े नेताओं की मौजूदगी की बात स्वीकर करनी पड़ी।
गौरतलब है कि पिछले सप्ताह पाकिस्तान द्वारा जारी एक सांविधिक नियामक आदेश (एसआरओ) में दाऊद इब्राहिम, हाफिज सईद, मसूद अजहर सहित 80 आतंकवादियों के नाम का उल्लेख है। इस आदेश का मकसद आतंकवाद निरोधक निकाय वित्तीय कार्यवाही कार्य बल (एफएटीएफ) द्वारा कालीसूची में डाले जाने से बचना था। द एनर्जी एंड रिसोर्सेज इंस्टीट्यूट (टेरी) के एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जयशंकर ने भारत की वैश्विक दृष्टि, आत्मनिर्भरता का सार, बहुपक्षता सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त किए।
आर्थिक मुद्दों और सरकार के आत्मनिर्भर भारत बनाने पर ध्यान देने का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री ने कहा, आजीविका और नवोन्मेष को राजनीतिक फैशन और वाणिज्यिक सहुलियत की बलिवेदी पर बलिदान नहीं किया जाना चाहिए। विश्वास करें, कि हमारे देश के पास काफी कुछ है, अगर हममें उसे आगे बढ़ाने का विश्वास हो। आतंकवाद की चुनौती का जिक्र करते हुए जयशंकर ने कहा कि आतंकवाद कैंसर है और यह कैंसर उसी प्रकार सभी को प्रभावित करता है, जिस प्रकार महामारी सम्पूर्ण मानवता को प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद और महामारी के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया तब आई है जब एक विशिष्ट घटना के कारण पर्याप्त व्यवधान उत्पन्न हो गया। उन्होंने 9 : 11 आतंकी हमले और 26 :11 मुम्बई हमले का जिक्र करते हुए कहा कि एफएटीएफ सहित कई तरह के तंत्र स्थापित किए गए हैं लेकिन विश्व के समक्ष अभी भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र संधि की कमी है और संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देश अभी भी कुछ बुनियादी सिद्धांतों को लेकर जद्दोजेहद कर रहे हैं।
पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि जिन देशों ने आतंकवादियों को तैयार किया और उन्हें अन्य देशों में भेजा , वे भी अपने आप को आतंकवाद के पीड़ित के रूप में पेश कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय तंत्र के माध्यम से सतत दबाव के कारण आतंकी समूहो और उनसे जुड़ी एजेंसियों की धन संबंधी गतिविधियां रूकी है और ऐसा पिछले सप्ताह देखा गया।
उन्होंने कहा कि इसके कारण ही आतंकी समूहों और संबंधित आपराधिक सिंडिकेटों को मदद, प्रशिक्षण और निर्देश देने में संलग्न एक देश को अंतत: अनिच्छा से उसके क्षेत्र में वांछित आतंकवादियों और संगठित अपराध से जुड़े नेताओं की मौजूदगी की बात स्वीकर करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि आतंकवाद, और जो इसे बढ़ावा दे रहे हैं, उनके खिलाफ संघर्ष साथ साथ चल रहा है।