लखनऊ। कोरोना महामारी के मद्देनजर घोषित लॉकडाउन के दौरान राजधानी लखनऊ में भुखमरी की कगार पर पहुंचा एक दिव्यांग अब अनेक भूखे परिवारों के लिए राहत की वजह बन चुका है। पैरों से मजबूर 36 वर्षीय तेज बहादुर यादव की रोजीरोटी ई-रिक्शा से चलती थी, मगर लॉकडाउन ने उसके पहियों की रफ्तार पर ब्रेक लगा दी।
मुफलिसी ने उन्हें कम्युनिटी किचन तक पहुंचाया। वहां से मिली मदद से बुझी पेट की आग ने उनके अंदर अपने ही जैसे और लोगों की मदद का जज्बा पैदा किया। यादव ने बुधवार को बताया कि 21 मार्च से घोषित लॉक डाउन के शुरुआती चार-पांच दिन तो घर में रखे कुछ पैसों से गुजरे लेकिन उसके बाद भुखमरी की नौबत आ गई। अपनी दिव्यांग पत्नी और दो छोटे बच्चों के लिए खाने को कुछ नहीं रह गया तो वह 27 मार्च को मजबूरन गोमती नगर विस्तार क्षेत्र में स्थित कम्युनिटी किचन पहुंचे।
यादव ने बताया कि वहां दूर-दूर से आए उनके जैसे ही लोग भोजन लेकर जा रहे थे। यह देखकर उनकी आंखें भर आईं और उन्होंने वैसे लोगों की मदद की ठानी। इरादा किया कि लेदेकर उनके पास जो ई-रिक्शा है, उसे वह ऐसे लोगों की मदद के लिए समर्पित करेंगे। कम्युनिटी किचन की संचालन संस्था गोमती नगर एक्सटेंशन महासमिति के सचिव उमा शंकर दुबे ने बताया कि यादव को एक पैर पर खड़ा देखकर मैंने सोचा कि वह कुछ और फूड पैकेट चाहते हैं। मगर उन्होंने अन्य गरीबों तक भोजन पहुंचाने में मदद करने की इच्छा जताई।
यादव ने बताया कि वह ई-रिक्शा चलाते हैं और भोजन वितरण में मदद कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि यादव ने कहा कि वह इस मुश्किल वक्त में समाज के लिए कुछ करना चाहते हैं और इस सेवा के एवज में कुछ नहीं लेंगे। उसके बाद से यादव रोज पूर्वाह्न 10 बजे कम्युनिटी किचन पहुंच जाते हैं और जरूरतमंद लोगों तक फूड पैकेट पहुंचाते हैं। वह वक्त के पाबंद और अपने काम के प्रति बेहद ईमानदार शख्स हैं।
दुबे ने कहा कि यादव हमारे समाज के लिए एक प्रेरणा हैं। हमें अपने समाज के लिए वह सब कुछ करना चाहिए, जो हम कर सकते हैं। मूल रूप से बाराबंकी के रहने वाले यादव ने कहा कि वह रोजाना करीब 1500 फूड पैकेट ले जाते हैं और गरीबों में बांटते हैं। इससे उन्हें इंतहाई सुकून मिलता है।