स्वामी रामानंदाचार्य ने गुरु शिष्य परंपरा का किया विस्तृत वर्णन

हमारी संस्कृति को और मजबूती मिलती है
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा आयोजित दीक्षारम्भ कार्यक्रम के अंतर्गत जयशंकर प्रसाद सभागार में अयोध्या से पधारे जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी रामदिनेशाचार्य ने विश्वविद्यालय में नव प्रवेशित एवं पूर्व शिक्षार्थियों के समक्ष अपना उद्बोधन प्रस्तुत किया। कार्यक्रम की शुरूआत दीप प्रज्वलन एवं सरस्वती वंदना से हुई। हे हंसवाहिनी (राग भैरवी) नामक यह भावपूर्ण वंदना विश्वविद्यालय के छात्रों आकर्ष सिंह, कार्तिकेय सिंह, सिमरन लॉल और शिवानी मिश्रा द्वारा प्रस्तुत की गई। सरस्वती वंदना का निर्देशन अभिषेक त्रिपाठी ने किया। तबले पर संगत अनंत प्रजापति द्वारा एवं हारमोनियम पर नमन सिंह द्वारा की गई। तत्पश्चात कुलपति प्रो. मांडवी सिंह नें जगद्गुरु को अंग वस्त्र ओढाकर किया एवं विश्वविद्यालय कार्यक्रम में उपस्थित होने हेतु आभार प्रकट कर किया।
जगद्गुरु राम दिनेशाचार्य नें अपने व्याख्यान में शिक्षार्थियों के शिक्षा के आरम्भ के प्रमुख वैदिक एवं शास्त्रोक्त पहलुवों को समझाते हुए दीक्षा के आरंभ की गुरु शिष्य परंपरा का विस्तृत वर्णन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम के होने से हमारी संस्कृति को और मजबूती मिलती है तथा प्रत्येक विश्वविद्यालय अथवा शिक्षण संस्थान को इस तरह के कर्यक्रमों को अपनी शैक्षिक गतिविधियों में अवश्य शामिल करना चाहिए जिससे हमारी पुरातन वैदिक परंपरा एवं संस्कृति को बल मिलेगा। उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्र छात्राओं को भविष्य की शुभकामना के साथ विश्वविद्यालय परिवार का आभार प्रकट किया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य विश्वविद्यालय में नव प्रवेशित छात्र एवं छात्राओं को दीक्षित करने एवं यहाँ की विश्वविद्यालय के उद्देश्य के बारे में परिचित कराना होता है।
कार्यक्रम में उपस्थित छात्र छात्राओं ने बताया कि यह आयोजन उनके लिए एक नया और प्रेरणादायक अनुभव था। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के द्वारा अध्यात्म और संगीत की समरूपता को जानने का अवसर प्राप्त हुआ े शिक्षकों एवं कर्मचारियों ने भी इसे एक सकारात्मक पहल बताया, इस कार्यक्रम से नव प्रवेशित छात्र छात्राओं के भावना को बल मिलता है। कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने कहा कि विश्वविद्यालय द्वारा ऐसे आयोजनों का उद्देश्य शिक्षकों, विद्यार्थियों और कर्मचारियों को एक सकारात्मक, स्वस्थ एवं रचनात्मक वातावरण प्रदान करना है, जिससे उनका मानसिक विकास एवं स्वस्थ वातावरण विकसित हो सके। उन्होंने बताया प्रत्येक शैक्षणिक सत्र में ऐसे आयोजन नियमित रूप से संपन्न कर विद्यार्थियों के समग्र विकास को सुनिश्चित किया जाना हमारा उद्देश्य है। कार्यक्रम का संयोजन एवं संचालन डॉ. रुचि खरे द्वारा प्रभावशाली एवं सहज रूप से किया गया।

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