नई दिल्ली। सार्वजनिक स्वास्थ्य संगठनों के साथ लगभग एक हजार छात्रों और शिक्षकों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ई-सिगरेट तथा निकोटीन उपलब्ध कराने वाले इस तरह की अन्य इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों पर पूरी तरह प्रतिबंध लगाने की मांग की।
प्रधानमंत्री को लिखे एक पत्र में इन लोगों ने कहा है कि किशोरों के बीच इन उत्पादों के हानिकारक प्रभावों के बारे में गलत सूचना है क्योंकि वे इन्हें मज़ेदार उपकरण मानते हैं जो पूरी तरह सुरक्षित है। एक हजार छात्रों के एक प्रतिनिधि ने पत्र में कहा है, हमलोग स्कूली छात्र हैं और नए तरह के उत्पाद के बारे में बहुत अधिक चिंतित हैं जिसे ई-सिगरेट कहा जाता है जो हमारे साथियों के बीच खतरनाक तरीके से लोकप्रिय हो रही है।
हमें पता चला है कि 13 साल तक के बच्चे ई सिगरेट को मस्ती के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं और धीरे धीरे इसके आदि हो जाते हैं। इसके हानिकारक प्रभावों के बारे में माता पिता और शिक्षकों के बीच गलत सूचना है। हाल में एक स्वयंसेवी संस्था की ओर से कराए गए अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ई सिगरेट एवं निकोटीन युक्त इस तरह के अन्य उपकरण की लोकप्रियता युवाओं के बीच बढ़ रही है।
इसकी लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि छठी और सातवीं कक्षा में पढऩे वाले छात्र भी इसे अपने स्कूल बैग में ले जाते हुए दिख जाते हैं। पिछले महीने कई चिकित्सक प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर भारत में इसे महामारी के रूप में फैलने से पहले इन उपकरणों पर प्रतिबंध लगाने की मांग कर चुके हैं।
पिछले साल अगस्त में, स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों एवं संघ शासित क्षेत्रों को परामर्श जारी कर इन उपकरणों का उत्पादन, इसकी बिक्री और आयात रोकने की सलाह दी थी। देश में पंजाब, कर्नाटक, केरल, बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, पुडुचेरी, झारखंड और मिजोरम ई सिगरेट, वेप और ई हुक्का के इस्तेमाल पर पहले ही प्रतिबंध लगा चुके हैं। दुनिया भर में 36 देशों में भी ई सिगरेट की बिक्री प्रतिबंधित है।