मुंबई. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि उनके ग्राहक अपने वारिस (नॉमिनी) को नामित करें, जिससे बिना दावे वाली जमा की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
सीतारमण ने यहां ग्लोबल फिनटेक फेस्ट (जीएफएफ) में कहा, मैं चाहती हूं कि बैंकिंग प्रणाली, वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र (सहित) म्यूचुअल फंड, शेयर बाजार… हर कोई यह ध्यान रखे कि जब कोई अपने (ग्राहक के) पैसे का लेनदेन करता है, तो संगठनों को भविष्य के बारे में सोचना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे (ग्राहक) अपने वारिस को नामित करें, उनका नाम और पता दें।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल बैंकिंग प्रणाली में 35,000 करोड़ रुपये से अधिक ऐसी राशि है जिसके दावेदार नहीं हैं, जबकि जबकि ऐेसी कुल राशि एक लाख करोड़ रुपये से भी अधिक है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने लोगों को लावारिस राशि की खोज और दावा करने में मदद करने के लिए एक केंद्रीकृत वेब पोर्टल यूडीजीएएम (लावारिस जमा – जानकारी तक पहुंचने का प्रवेश द्वार) की 17 अगस्त को शुरुआत की है।
वित्त मंत्री ने कहा कि जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करना आवश्यक है और एक भी लापरवाही विघटन का कारण बन सकती है, जिससे भरोसे की कमी हो सकती है और वित्तीय दुनिया में संकट पैदा हो सकता है। सीतारमण ने कहा कि कर पनाहगाह देश और पैसे की राउंड टिपिंग जिम्मेदार वित्तीय पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा है। राउंड टिपिंग से आशय किसी कंपनी द्वारा अपने पैसे को विदेश में घुमा-फिराकर देश में वापस लाने से है।
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