लखनऊ। हिंदू धर्म में सावन माह को अत्यंत शुभ और पवित्र माना गया है। यह महीना विशेष रूप से भगवान शिव को समर्पित होता है। पूरे सावन भर श्रद्धालु शिवजी की उपासना करते हैं और जलाभिषेक से उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। इस दौरान पड़ने वाली मासिक शिवरात्रि का महत्व और भी बढ़ जाता है। मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को आती है, लेकिन जब यह तिथि सावन महीने में पड़ती है, तो इसका आध्यात्मिक महत्व कई गुना अधिक हो जाता है। पंचांग के अनुसार सावन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरूआत 23 जुलाई 2025 को सुबह 4:39 बजे से होगी और यह तिथि अगले दिन 24 जुलाई को रात 2:28 बजे तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार सावन शिवरात्रि का व्रत 23 जुलाई, बुधवार को रखा जाएगा।
शिवरात्रि हिंदू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। भगवान शिव को समर्पित यह त्योहार सावन में चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। वैसे तो हर मास की शिवरात्रि खास होती है, लेकिन सावन में कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि का खास महत्व है। इस बार सावन की शिवरात्रि 23 जुलाई 2025 को पड़ रही है। सावन शिवरात्रि पर गुरु मिथुन राशि में पहले से विराजमान हैं। इसके अलावा चंद्रमा भी इस दिन मिथुन राशि में आ जाएंगे। इन दोनों के मिथुन राशि में होने से गजकेसरी योग बन रहा है। जो शिवरात्रि के महत्व को बढ़ा देगा। इस दिन आर्द्रा नक्षत्र 17:54 बजे तक रहेगा। इसके अलावा व्याघात योग 12:31 तक रहेगा। गजकेसरी योग का विभिन्न राशियों पर अच्छा असर होगा। आपको बता दें कि सावन में शनि मीन राशि, सूर्य कर्क राशि, राहु मेष राशि और केतू सिंह राशि में हैं। इस दिन कांवड़ यात्रा का समापन हो जाता है। भगवान शिव के मंदिरों में इस दिन जलाभिषेक के लिए भक्तों की भारी भीड़ रहती है। चतुर्दशी तिथि पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा निशा काल में भी शुभ मानी जाती है। इसके अलावा भगवान शिव की चार पहर पूजा का भी विधान है। चारों पहर में अलग-अलग तरह से पूजा होती है।
जलाभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त:
इस दिन जलाभिषेक के लिए वैसे तो पूरा दिन माना जाता है, लेकिन यहां हम कुछ विशेष मुहूर्त बता रेह हैं, जिसमें आप भोलेनाथ को जलाभिषेक कर सकते हैं। भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में बहुत फलदायी बताई गईहै, इसलिए सांयकाल संध्या का समय भी भगवान शिव की पूजा के लिए श्रेष्ठ रहेगा।
शिव पूजन का शुभ मुहूर्त:
सावन मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष पूजा रात्रि के समय की जाती है, जिसे निशिता काल कहा जाता है। इस बार पूजा का सर्वोत्तम समय 24 जुलाई को रात 12:07 बजे से 12:48 बजे तक रहेगा। इस मुहूर्त में कुल 41 मिनट का समय होगा, जो कि शिव पूजन और जलाभिषेक के लिए सबसे शुभ माना गया है।
सावन शिवरात्रि का धार्मिक महत्व:
मान्यताओं के अनुसार सावन की शिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। यही कारण है कि इस दिन किया गया व्रत और पूजन वैवाहिक जीवन में प्रेम, सामंजस्य और सुख-शांति बनाए रखता है। यह व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं और विवाहित महिलाओं के लिए फलदायक माना जाता है। इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेलपत्र, धतूरा और आक चढ़ाकर शिवजी को प्रसन्न किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इस दिन शिव जी की सच्चे मन से की गई उपासना सारे पापों को नष्ट करती है और मोक्ष की प्राप्ति कराती है।
सावन शिवरात्रि पूजन विधि:
सावन शिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठ जाएं और स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें। इसके बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। फिर घर के पास किसी मंदिर में जाकर शिवलिंग पर पंचामृत चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पंचामृत में तुलसी के पत्तों का इस्तेमाल नहीं करना है। इसके बाद भगवान शिव के बीज मंत्र ॐ नम: शिवाय का जप करते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र, फल और फूल इत्यादि चढ़ाएं। फिर शिव चालीसा का पाठ करें। इसके बाद शिवरात्रि की कथा सुनें और अंत में शिव जी की आरती करें। इसके बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद सभी में बांट दें। कहते हैं जो व्यक्ति सच्चे मन से सावन शिवरात्रि का व्रत रखता है उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। इस व्रत में सुबह-शाम दोनों समय शिव जी की विधि विधान पूजा की जाती है। शाम की पूजा के समय कथा जरूर सुनें। साथ ही शिव पुराण और शिव स्तुति का पाठ जरूर करें। इस दिन फलाहार भोजन किया जाता है। अन्न का सेवन बिल्कुल भी नहीं किया जाता। हालांकि आप खाने में सेंधा नमक का इस्तेमाल कर सकते हैं। व्रत का पारण अगले दिन शुभ मुहूर्त में किया जाता है।
शिवालयों में भोले बाबा का होगा विशेष शृंगार
सदर बाजार स्थित द्वादश ज्योर्तिलिंग धाम में सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का विशेष शृंगार होगा तथा 13 परिवारों द्वारा महारुद्राभिषेक पूजन पं. मगलू पाधा के सानिध्य में होगा। मन्दिर समिति के अध्यक्ष राजेश चन्द्र अग्रवाल ने बताया कि मन्दिर सुबह पांच बजे खुल जायेगा और भक्तों के लिए सभी ज्योर्तिलिंगों पर गंगाजल से अभिषेक करने की सुविधा रहेगी। उन्होने बताया भोलेनाथ पर चढ़ा हुआ दुध बाद में भक्तों को प्रसाद के रुप में बांट दिया जाता है। रविवार को बड़ी संख्या में लोगों ने रुद्राभिषेक कराया।
यहां भी होंगे विशेष आयोजन:
मनकामेश्वर सहित शहर के सभी शिवालयों में विशेष पूजा अर्चना होगी। चैपटिया स्थित प्राचीन बड़ा शिवाला में सावन शिवरात्रि पर भोलेनाथ का फूलों से शृंगार होगा। तथा आचार्यो द्वारा रुद्राभिषेक का आयोजन किया जायेगा। नादान महल रोड पर स्थित सिद्धनाथ मन्दिर सजावट व भोलेनाथ का श्रंगार देखने वाला होता है। प्राचीनकाल से चला आ रहा यहां का रुद्राभिषेक प्रसिद्ध है। प्रत्येक सोमवार को करीब 50 लीटर दुध से भोलेनाथ का अभिषेक करेंगे। चौक स्थित कोनेश्वर महादेव मन्दिर में कई कुंटल फूलों से भोलेनाथ का शृंगार और रुद्राभिषेक होगा। आगामीढ़ ढ्योढ़ी सुभाष मार्ग स्थित महामंगलेश्वर महादेव मन्दिर सावन के शिवरात्रि को गेंदा, गुलाब, चांदनी आदि फलों से मन्दिर को सजाया जाएगा। मोहान रोड स्थित बुद्धेश्वर महादेव मन्दिर में पूरे सावन भर तथा सावन के बुधवार को यहां मेला लगेगा। खदरा के आशुतोष शिव मन्दिर के महंत सुरेन्द्र दास ने बताया कि सावन के सभी सोमवार को ओम नम: शिवाय का संगीतमय पाठ होगा।
सावन का दूसरा बुधवार आज, बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में होगी विशेष पूजा
लखनऊ। लखनऊ के मोहान रोड स्थित ऐतिहासिक बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में इस बार सावन के महीने में विशेष रौनक देखने को मिलेगी। 11 जुलाई से प्रारंभ हो चुके सावन माह में इस बार बुधवार की संख्या अधिक होने के कारण मंदिर परिसर में चार बार मेले का आयोजन किया जाएगा। हर वर्ष की तरह इस बार भी मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने की संभावना है, खासकर सावन के हर बुधवार को, जब यहां विशेष धार्मिक महत्व होता है।
मंदिर के मुख्य पुजारी लीलापुरी के अनुसार, इस वर्ष सावन में कुल चार बुधवार पड़ रहे हैं,16 जुलाई, 23 जुलाई, 30 जुलाई और 6 अगस्त। इन सभी दिनों को मेले का रूप दिया जाएगा। वैसे तो पूरे सावन माह में शिव भक्तों का मंदिर में तांता लगा रहता है, लेकिन बुधवार को विशेष रूप से भक्त बड़ी संख्या में पहुंचते हैं, जिससे मेले का स्वरूप स्वत: ही बन जाता है।
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए साफ-सफाई, सुरक्षा, लाइटिंग व्यवस्था, प्रसाद वितरण, छाया व जल व्यवस्था जैसी जरूरी तैयारियां तेज कर दी हैं। मंदिर को झालरों, पुष्प सज्जा, रंगाई-पुताई और विद्युत सज्जा से भव्य रूप दिया जा रहा है। पुजारी रामू ने बताया कि मंदिर को फूलों से सजाया जाएगा, और शिव भक्तों के लिए विशेष पूजा की व्यवस्थाएं की जाएंगी। मंदिर प्रांगण को सुंदर बनाने के लिए विशेष टीमें तैनात की गई हैं। हर वर्ष बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में सावन माह में लाखों श्रद्धालु दर्शन हेतु पहुंचते हैं। विशेषकर बुधवार को तो मंदिर में इतनी भीड़ होती है कि सड़कों पर यातायात भी प्रभावित होता है। प्रशासन की ओर से भीड़ प्रबंधन हेतु यातायात पुलिस और सिविल डिफेंस की सहायता ली जाती है। क्षेत्रीय पार्षद धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि नगर निगम को विशेष रूप से सफाई और जल निकासी को लेकर सचेत किया गया है और उम्मीद जताई कि जल्द ही आवश्यक कार्रवाई होगी। बुधवार को भगवान शिव की विशेष पूजा का महत्व शास्त्रों में वर्णित है। ऐसा माना जाता है कि बुद्धेश्वर महादेव मंदिर में बुधवार को दर्शन करने से संकटों से मुक्ति,कर्ज से छुटकारा,और संपत्ति वृद्धि जैसी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इसलिए सावन माह के प्रत्येक बुधवार को देशभर से शिवभक्त यहां उमड़ते हैं। सावन के इन मेलों में स्थानीय दुकानदार, खाद्य विक्रेता, खिलौना विक्रेता, फूल वाले, प्रसाद विक्रेता, और भक्ति सामग्री बेचने वालों की भी बड़ी आमदनी होती है। मेला परिसर में सैकड़ों अस्थायी दुकानें लगने लगी हैं और व्यापारी सजावट के साथ तैयारियों में जुट गए हैं।