वरिष्ठ संवाददाता लखनऊ। नार्वे में भारतीय नॉवेर्जीयन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष और स्पाइल-दर्पण पत्रिका के संपादक एवं प्रवासी भारतीय पत्रकार सुरेश चन्द्र शुक्ल शरद आलोक ने शुक्रवार को डॉॅ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का दौरा किया।
सुरेश चन्द्र शुक्ल ‘शरद आलोक’ भारत एवं नार्वे के सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ओस्लो में स्थापित भारतीय नॉवेर्जीयन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम के अध्यक्ष है एवं हिन्दी और नावेर्जीयन भाषा की बहुसांस्कृतिक द्वैमासिक पत्रिका स्पाइल-दपर्ण के संपादक है और ओस्लो में रहकर विगत 43 वर्षों से पत्रकारिता के माध्यम से हिन्दी की सेवा कर रहे हैं।
अपने भारत भ्रमण के दौरान उन्होंने डॉ. शकुन्तला मिश्रा राष्ट्रीय पुनर्वास विश्वविद्यालय का दौरा किया। इस दौरान वे विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राणा कृष्णा पाल सिंह, कुलसचिव रोहित सिंह, परीक्षा नियंत्रक डॉ. अमित कुमार राय, अधिष्ठाता कला संकाय प्रो. वीके सिंह एवं मीडिया प्रभारी प्रो यशवंत वीरोदय से भी मिले और दिव्यांगो के जीवन पर फिल्म बनाने की योजना को साझा करते हुए कहा कि समाज की मुख्यधारा में दिव्यांगों को सम्मान के साथ स्थान दिलाने एवं उनकी समस्याओं के मनोवैज्ञानिक पक्षों को उजागर करना जरूरी है, जिसके लिए मैं दिव्यांगों के जीवन और उनकी मनोदशा पर फिल्म बनाना चाहता हूं।
भारतीय नावेर्जीयन सूचना एवं सांस्कृतिक फोरम का अध्यक्ष होने के नाते उन्होंने विश्वविद्यालय से अकादमिक और सांस्कृतिक सहयोग के लिए एमओयू संपादित करने का विचार व्यक्त किया। जिसके द्वारा विश्वविद्यालय से भारतीय प्रतिनिधिमंडल नार्वे जा सकेगा और नार्वे से प्रतिनिधिमंडल भारत आ सकेगा।
शरद आलोक ने हिन्दी एवं अन्य भारतीय भाषा विभाग के शोधार्थियों से विदेशों में हिन्दी पत्रकारिता की दशा एवं दिशा पर विस्तृत करते हुए कहा कि आपको विश्व के कोने-कोने में हिन्दी बोलने-समझने वाले मिल जाते हैं। सिर्फ बोलने-समझने तक ही नहीं अपितु हिन्दी की व्याप्ति भारत से बाहर, दो-सौ से अधिक देशों में है और अनेक देशों में हिन्दी भाषा और साहित्य का अध्ययन-अध्यापन हो रहा है। यह हिन्दी की सर्वमान्यता और उपयोगिता के कारण ही संभव है।