नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने बुधवार को कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी, ऐसे में भारत जैसे देशों के लिये सही अर्थो में आत्मनिर्भर बनकर कठिन परिस्थितियों से मुकाबला करने में समर्थ अर्थव्यवस्था का निर्माण करने की जरूरत है।
उपराष्ट्रपति ने “नेताजी- भारत की स्वंत्रता और ब्रिटिश अभिलेख” पुस्तक के लोकार्पण कार्यक्रम में कहा, “आत्मनिर्भर भारत कारोबारी बाधा खड़ा करने या संरक्षणवाद को प्रोत्साहित करने की बात नहीं करता है बल्कि भारत की अंतर्निहित ताकत को पहचानने और विभिन्न क्षेत्रों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने पर जोर देता है।”
नायडू ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद दुनिया पहले जैसी नहीं रहेगी। ऐसे में भारत जैसे देशों के लिये सही अर्थो में आत्मनिर्भर बनकर कठिन परिस्थितियों से मुकाबला करने में समर्थ अर्थव्यवस्था का निर्माण करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा, “मुझे इस बात की खुशी है कि सरकार ने आत्मनिर्भरता को प्रोत्साहित करने के उपायों के तहत हाल ही में रक्षा क्षेत्र के 101 उत्पादों पर आयात रोक लगाने की घोषणा की।”
नायडू ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जिक्र करते हुए कहा, “हमारी युवा पीढ़ी को भारत के इतिहास के प्रति जागरूक होना चाहिए। देशभर से स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान और पराक्रम की कहानियों को पाठ्यक्रम में रेखांकित किया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि नेताजी का दृढ़ विश्वास था कि हम सब सबसे पहले भारतीय हैं, धर्म, जाति, क्षेत्रीय और भाषाई पहचानें बाद में आती हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा, “हमारे स्वाधीनता आंदोलन के दौरान नेताजी का साहसी और ओजस्वी नेतृत्व युवाओं के लिए अनुकरणीय और प्रेरणा का स्रोत है। नेताजी का विश्वास था कि महान राष्ट्र अपनी नियति स्वयं लिखते हैं। उन्होंने लोगों में भी यह विश्वास जगाया।”
उन्होंने कहा कि आज अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस भी है और इस अवसर पर वह युवाओं से नये भारत के निर्माण के लिये नेताजी के जीवन से प्रेरणा लेने की अपील करते हैं।