सिनेमा में रूमानियत और असल जिंदगी में जिंदादिली की बानगी रहे ऋषि कपूर

नई दिल्ली। हिन्दी सिनेमा के पहले परिवार कहे जाने वाले कपूर खानदान में पैदा होते ही उनका सितारा बनना तो तय था लेकिन दुनिया भर में अपने प्रशंसक ऋषि कपूर ने अपनी अदाकारी के दम पर जुटाए थे जो कई सितारों की भीड़ में भी अपनी छाप छोडऩे के फन में माहिर थे।

रूपहले पर्दे पर रूमानियत की बानगी रहे ऋषि असल जिंदगी में जिंदादिली के पर्याय रहे। ल्यूकेमिया से दो साल जूझते रहे ऋषि ने 67 वर्ष की उम्र में गुरूवार को आखिरी सांस ली। उनकी जिंदादिली का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि अस्पताल के डॉक्टरों और नर्सों का कहना है कि वह अंतिम समय तक उनका मनोरंजन करते रहे। यही नहीं बीमारी के दौरान भी उन्होंने कभी बेचारगी का अहसास नहीं किया।

पृथ्वीराज कपूर के पोते और राज कपूर के बेटे ऋषि ने बतौर बाल कलाकार सिनेमा में पदार्पण किया और तीन दशक तक रूमानी नायक के रूप में दर्शकों के दिलों पर राज करते रहे। कैरियर की अगली पारी में उन्होंने कुछ यादगार किरदार निभाए जिनमें अग्निपथ का खूंखार खलनायक रऊफ लाला, दो दूनी चार का परेशान ट्यूटर और 102 नाटआउट का पिता से परेशान बेटा बाबूलाल शामिल था। अपने पांच दशक के कैरियर में करीब 150 फिल्में करने वाले ऋषि ने शुरूआत उस छोटे से बच्चे के रूप में की थी जो राज कपूर और नरगिस के श्री 420 के मशहूर गीत प्यार हुआ इकरार हुआ में बारिश में नजर आता है।

एक्शन फिल्मों के दौर में फिल्मों में रूमानियत बनाए रखने वाले ऋषि ने डिम्पल कपाडय़िा (बॉबी और सागर) से लेकर अपने से काफी छोटी दिव्या भारती (दीवाना) और उर्मिला मांतोडकर (श्रीमान आशिक) के साथ भी नायक की भूमिका निभाई । नगीना और चांदनी (श्रीदेवी), प्रेम रोग (पद्मिनी कोल्हापूरे) और दामिनी (मीनाक्षी शेषाद्री) जैसी नायिका प्रधान फिल्मों में भी वे अपनी छाप छोडऩे में कामयाब रहे।

रोमांस के पोस्टर ब्वॉय रहे ऋषि के स्वेटर तक उस दौर में चर्चा में रहते थे। कई बड़े सितारों के बीच भी उनका किरदार छोटा नहीं होता था जिसकी बानगी अमर अकबर एंथोनी रही जिसमें अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की मौजूदगी में अकबर इलाहाबादी भी छाया रहा और फिल्म के तीन सुपरहिट गीत पर्दा है पर्दा, शिर्डी वाले साईबाबा या तैय्यब अली प्यार का दुश्मन उन्हें मिले। उन्हें हालांकि यह मलाल हमेशा रहा कि कैरियर के चरम पर उन्हें विविध प्रकार के रोल नहीं मिले जैसे उनके बेटे रणबीर को मिले हैं। बाद में आखिरी पारी में उन्होंने मुल्क, डी डे और लक बाय चांस जैसी फिल्में की।

उनकी आखिरी फिल्म इमरान हाशमी के साथ द बॉडी रही जो दिसंबर 2019 में रिलीज हुई थी। दीपिका पादुकोण के साथ हॉलीवुड फिल्म द इंटर्न की रीमेक बननी थी लेकिन वह शुरू ही नहीं हुई। कपूर परिवार के बाकी सदस्यों की तरह खाना, परिवार, दोस्त और फिल्में ही उनकी जिंदगी थे। वह सिनेमा के लिए ही बने थे। सिनेमा के साथ असल जिंदगी में भी नीतू सिंह और उनकी जोड़ी सुपरहिट रही।

सिनप्रेमियों के साथ ट्विटर को भी उनकी कमी खलेगी जिस पर उनका परिचय कुछ यूं था एक मशहूर पिता का बेटा और मशहूर बेटे का पिता। अपने बेबाक विचार रखने से कभी नहीं हिचकिचाने वाले ऋषि ट्विटर पर एंग्री यंग मैन नजर आते थे। कभी बीफ खाने वाले हिंदू वाले बयान पर तो कभी लॉकडाउन में शराब की दुकाने खोलने के सरकार से अनुरोध को लेकर वह चर्चा में रहे।

उन्होंने आखिरी ट्वीट दो अप्रैल को किया था जिसमें सभी लोगों से हिंसा, पथराव या लिंचिंग से दूर रहने का आग्रह किया था। उन्होंने लिखा था, डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, पुलिस हमारी रक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं ।हमें मिलकर कोरोना वायरस को हराना है। जय हिंद। जीना यहां, मरना यहां इसके सिवा जाना कहां को अपने जीवन का फलसफा मानने वाले एक सितारे के रूप में जन्में अभिनेता के सफर पर आज विराम लग गया।

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