रिश्ते खून से नहीं बल्कि भावनाएं उसे घनिष्ठ बनाती हैं

यूपीएसएनए के त्रिदिवसीय प्रादेशिक नाट्य समारोह की दूसरी संध्या में मंचित हुआ आखिरी वसंत
इस समारोह की तीसरी अंतिम शाम 19 मार्च को मंचित होगा नाटक भुवनेश्वर-दर-भुवनेश्वर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी की ओर से त्रिदिवसीय प्रादेशिक नाट्य समारोह की दूसरी शाम मंगलवार 18 मार्च को दर्पण लखनऊ की प्रस्तुति आखिरी वसंत का मंचन शुभदीप राहा के सराहनीय लेखन और निर्देशन में गोमती नगर स्थित अकादमी के संत गाडगे जी महाराज प्रेक्षागृह में किया गया। यह नाटक, विदेश में जाकर बस गए बच्चों के बाद हिन्दुस्तान में एकाकी रह गए वयोवृद्ध अभिभावकों की परिस्थितियों को, आधुनिक बाजारवाद के परिवेश में प्रभावी रूप से पेश करता है। नाटक संदेश देता है कि रिश्ते खून के कारण नहीं घनिष्ठ होते बल्कि भावनाएं उसे घनिष्ठ बनाती हैं।
सुनील शुक्ला के सधे संचालन में हुयी इस नाट्य संध्या में मुख्य अतिथि प्रमुख सचिव आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन, रंजन कुमार के साथ अकादमी अध्यक्ष प्रो.जयंत खोत, उपाध्यक्ष विभा सिंह, निदेशक डॉ. शोभित कुमार नाहर ने दीप प्रज्वलन किया। नाटक एक बुजुर्ग दंपत्ति सुधीर और गीता के साथ शुरू होता है जो अपने बेटे रणदीप के साथ अपने झगड़े को निपटाने की कोशिश कर रहे हैं जो कनाडा में अपनी पत्नी वंदना के साथ बस गया है। नाटक जब आगे बढ़ता है तो दर्शकों को पता चलता है कि पांच साल पहले संपत्ति को लेकर झगड़ा हुआ था। अब सुधीर और गीता किसी तरह रणदीप और वंदना को वापस भारत बुलाना चाहते हैं। दूसरी ओर कहानी में मोड़ आता है जब सुधीर और गीता के घर में जेल से भागा हुआ एक अपराधी राधू पहुंच जाता है। इसी बीच भावनाओं पर हावी होते बाजारवाद को दशार्ते दो किराए के बेटा-बहु भी घर पहुंच जाते हैं। नाटक के अंत में परिस्थितियों का मारा अपराधी राधू, सच्चे प्यार की तलाश में अंजान, वृद्ध दम्पत्ति को अपना अभिभावक बना लेता है।
मंच पर सुधीर की भूमिका वरिष्ठ रंगकर्मी डॉ. अनिल रस्तोगी, गीता की चित्रा मोहन, वंदना की अलका विवेक, रणदीप की विकास श्रीवास्तव, राधू की संजय देगलुरकर और मंजीत सिंह की वंश श्रीवास्तव ने अदा कर प्रशंसा हासिल की। मंच पार्श्व में सैयद लारैब और सुमित श्रीवास्तव ने मंच सामग्री प्रबंधन, मधुसूदन ने मंच निर्माण, रोजी दुबे ने वेशभूषा, देवाशीष मिश्रा ने प्रकाश परिकल्पना एवं संचालन, मनोज वर्मा ने मुख सज्जा, विवेक श्रीवास्तव ने संगीत संचालन, राधेश्याम सोनी ने प्रस्तुति संयोजन और विद्या सागर गुप्त ने प्रस्तुति का दायित्व बखूबी संभाला।
अकादमी के निदेशक डॉ.शोभित कुमार नाहर के अनुसार प्रादेशिक नाट्य समारोह की अंतिम और तीसरी शाम 19 मार्च को शाहजहांपुर की नाट्य संस्था गगनिका द्वारा नाटक भुवनेश्वर-दर-भुवनेश्वर का मंचन कप्तान सिंह कर्णधार के निर्देशन में किया जाएगा। इसका लेखन मीराकान्त ने किया है।

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