मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को पेश द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए प्रमुख नीतिगत दर रेपो को चार प्रतिशत पर बरकरार रखा। केंद्रीय बैंक ने कहा कि अर्थव्यवस्था तेजी से सुधर रही है और चालू तिमाही में फिर वृद्धि की राह पर लौट सकती है।
छह सदस्ईय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपनी मानक ब्याज दर रेपो को चार प्रतिशत पर बनाए रखने का एकमत से फैसला किया। अगस्त में मुद्रास्फीति की चिंता के मद्देनजर रेपो दर में कटौती रोकने से पहले रिजर्व बैंक जनवरी के बाद से इसमें 1.15 प्रतिशत की कटौती कर चुका है। रिजर्व बैंक ने रिवर्स रेपो दर को भी 3.35 प्रतिशत पर यथावत बनाए रखा। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिसके आधार पर रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों को एक दिन के लिए धन उधार देता है।
केंद्रीय बैंक के पास रखे गए पैसों के लिए बैंकों को रिवर्स रेपो दर के आधार पर ब्याज मिलता है। रेपो दर में किसी तरह का बदलाव नहीं होने से लोगों के आवास, वाहन समेत अन्य खुदरा कर्ज पर ब्याज दरें यथावत रह सकती हैं। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति के मामले में उदार रुख बरकरार रखा है। इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में जरूरत पडऩे पर वह नीतिगत दर में कटौती कर सकता है।
रिजर्व बैंक ने समीक्षा में यह भी कहा है कि तीसरी तिमाही से अर्थव्यवस्था की गति सकारात्मक दायरे में आ जाएगी। बैंक ने आर्थिक गतिविधियों के विभिन्न क्षेत्रों में आ रहे सुधार को देखते हुए तीसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद में 0.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 0.7 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है। हालांकि पूरे वित्त वर्ष 2020- 21 में अर्थव्यवस्था में 7.5 प्रतिशत की गिरावट रहने का अनुमान है।
मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक में लिए गए फैसलों की ऑनलाइन जानकारी देते हुए आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, खुदरा मुद्रास्फीति के उच्च स्तर को देखते हुए एमपीसी के सभी छह सदस्यों ने आम सहमति से नीतिगत दर को यथावत रखने का निर्णय किया। उन्होंने यह भी कहा, एमपीसी ने मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप रखने के साथ आर्थिक वृद्धि में सतत रूप से तेजी लाने और कोविड-19 के अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव को कम करने के लिए जबतक जरूरी हो… कम-से-कम चालू वित्त वर्ष और अगले वित्त वर्ष… नरम रुख बरकरार रखने का निर्णय किया है।