अमरीका को राष्ट्रपति ट्रंप ने किया शर्मसार

छह जनवरी 2021 को अमेरिकी कांग्रेस का संयुक्त अधिवेशन आयोजित किया गया ताकि देश के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन को औपचारिक मान्यता प्रदान की जा सके। लेकिन इस दिन अमेरिकी लोकतंत्र के दो परस्पर विरोधी रूप देखने को मिले। एक वह जो अमेरिकी लोकतांत्रिक परम्परा का हिस्सा है और जिस पर अमेरिका ही नहीं बल्कि शेष विश्व भी गर्व करता व प्रेरित होता है, क्योंकि इससे अमेरिकन ड्रीम के साकार होने का अवसर मिलता है।

दूसरा वह जो राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प व उनके कार्यकाल की उपज है। जिसने अमेरिका को ‘बनाना रिपब्लिक के स्तर तक गिराते हुए शर्मसार कर दिया है। पहला रूप इस तरह सामने आया कि श्वेत कट्टरपंथियों व रिपब्लिकन पार्टी का गढ़ समझे जाने वाले जर्जिया ने अति महत्वपूर्ण चुनाव में पहली बार एक यहूदी व एक अश्वेत को सीनेटर चुना, जिससे डेमोक्रेटिक पार्टी को सीनेट में भी बहुमत मिल गया है। यह अमेरिका में ही हो सकता है कि सांसद अपनी ही पार्टी के राष्ट्रपति की गलत हरकतों की आलोचना व विरोध करें, जैसा कि अधिकतर रिपब्लिकन सांसदों ने ट्रम्प के साथ किया।

दूसरा रू प यह कि ट्रम्प के उकसाने पर उनके नस्लवादी व षडयंत्रकारी समर्थक कै पिटल हिल (जहां कांग्रेस की बैठक हो रही थी) में जबरन घुस गये, तोड़फोड़ व हिंसा की, गोली लगने से एक महिला सहित चार लोगों की मृत्यु हो गई। सांसद व स्टाफ जान बचाने के लिए वहां से भागने लगे, नेशनल गार्ड्स को बुलाकर स्थिति नियंत्रण करनी पड़ी।

अमेरिका के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जिससे 25वां संशोधन लागू करके ट्रम्प को उनके पद से तुरंत हटाने की मांग तेज हो गई है। हुआ दरअसल यह है कि ‘सेव अमेरिका रैली के तहत ट्रम्प के समर्थक कैपिटल के बाहर हजारों की संख्या में एकत्र हो गये। उन्हें संबोधित करते हुए ट्रम्प ने राष्ट्रपति चुनाव में ‘पराजय न स्वीकार करने की बात को दोहराते हुए कहा कि उन्हें उन सीनेटर्स का साथ देना चाहिए’ जो हम से चुरा लिए गये चुनाव वापस कराने का अंदर (सदन में) प्रयास कर रहे हैं।

जब ट्रम्प समर्थक सीनेटर्स ने एरिजोना के इलेक्टोरल वोट पर आपत्ति की तो उसी समय ट्रम्प समर्थक कैपिटल हिल में घुस गये और हिंसा शुरू हो गई। हिंसक भीड़ ने सदन पर कब्जा कर लिया और सांसदों व स्टाफ को अपनी जान बचाकर भागना पड़ा। वाशिंगटन डीसी पुलिस प्रमुख रोबर्ट कांटी के अनुसार एक महिला की मौके पर ही मौत हुई और तीन अन्य व्यक्तियों की ‘मेडिकल इमरजेंसी के दौरान मौत हुई।

ट्रम्प समर्थकों ने रसायनिक हथियारों का प्रयोग किया और पुलिस को भी स्थिति नियंत्रण करने के लिए, जिसमें उसे कई घंटे का समय लगा, बल प्रयोग करना पड़ा। स्थिति सामान्य होने पर कांग्रेस की कार्यवाही पुन: आरंभ हुई। स्थिति कितनी गंभीर हो गई थी, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वाशिंगटन में कर्फ्यू लगाना पड़ा, सैंकड़ों की संख्या में गिरफतारियां करनी पड़ीं और 1100 नेशनल गार्ड्स को बुलाने की आवश्यकता पड़ी।

गौरतलब है कि नेशनल गार्ड्स को ट्रम्प ने नहीं बल्कि उप-राष्ट्रपति माइक पेंस के आदेश पर बुलाया गया, क्योंकि ट्रम्प अपने तथाकथित देशभक्त समर्थकों के विरुद्घ कार्यवाही करते हुए दिखायी नहीं देना चाहते थे। लेकिन इस घटना से अधिकांश रिपब्लिकन सीनेटर्स ही नहीं बल्कि व्यापार व अन्य क्षेत्रों में तो जो कट्टर ट्रम्प समर्थक थे, वह भी ट्रम्प के विरोध में खड़े हो गये। ट्वीटर, फेसबुक आदि सोशल मीडिया प्लेटफर्म्स ने ट्रम्प के अकाउंट को 12 घंटों के लिए ब्लॉक कर दिया।

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