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होगी तीन से पांच साल की सजा, 20 से 50 हज़ार का अर्थदंड या दोनों
लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर जेल में सेल फोन एवं इण्टरनेट संचालित करने वाले बंदियों और गलत पहचान विवरण के साथ जेलों में प्रवेश करने वाले डुप्लीकेट व्यक्तियों के खिलाफ कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। इसके लिए कारागार अधिनियम में जरूरी संशोधन कर दंड को और ज़्यादा कठोर बनाये जाने का प्रस्ताव मंत्रिपरिषद द्वारा मंजूर किया जा चुका है।
अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने यह जानकारी देते हुये बताया कि इस संबंध में मौजूदा समय में प्राविधानित दंड को और ज़्यादा कठोर बनाये जाने के लिए दंड को बढ़ा कर अपराध को संज्ञेय बनाये जाने की ज़रूरत को ध्यान में रखते हुये शासन द्वारा यह कार्यवाही की गई है, जिससे जेलों में बंद कैदियों द्वारा संचालित आपराधिक गतिविधियों को नियंत्रित किया जा सके।
अवस्थी ने बताया कि शासन के निर्णय के अनुसार अगर कोई बंदी किसी जेल परिसर के अंदर या उसके बाहर कोई अपराध करने का प्रयास करने, दुष्प्रेरित करने, षड़यंत्र करने आदि के लिए किसी बेतार संचार तकनीक का इस्तेमाल करते हुये पाया जाता है और जिसके परिणाम स्वरूप कोई आपराध किया जा सकता है, तो दोष सिद्ध होने पर उसे 3 से 5 साल तक की जेल की सजा हो सकती है, या 20 हजार से 50 हजार रूपये तक अर्थदण्ड लगाया जा सकता है, या दोनो से दंडित किया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि कारागार में बंदी को भेजे जाने का मुख्य उद्देश्य यह है कि वह आगे कोई अपराध न कर सके और मुकदमे के साक्ष्य या साक्षियों को प्रभावित न कर सके। लेकिन जेलों में सेल फोन एवं इंटरनेट का अनाधिकृत उपयोग किये जाने से इन उद्देश्यो की पूर्ति में बाधा उत्पन्न होती है।
इसके लिए कभी-कभी जेल में गलत पहचान विवरण के साथ बाहरी व्यक्ति प्रवेश कर जाते हैं और बंदियों को निषिद्ध वस्तुओं की आपूर्ति या बंदियों से मिलकर आपराधिक षडयंत्र करने का प्रयास करते हैं। इसी पर कड़ाई से रोकथाम के लिए यह कार्यवाही की जा रही है।