एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय को लगाई फटकार

नई दिल्ली। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने पर्यावरण और वन मंत्रालय को राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनसीएपी) पर उसकी रिपोर्ट को लेकर फटकार लगाई है जो 2024 तक वायु प्रदूषण में 20-30 प्रतिशत की कमी का प्रस्ताव करता है। एनजीटी ने मंत्रालय के उस प्रस्तुतिकरण को नामंजूर कर दिया कि एक समिति ने आगे विचार-विमर्श पर निष्कर्ष निकाला है कि एनसीएपी के तहत 20-30 प्रतिशत प्रदूषक की कमी यथार्थवादी लगती है।

इसने कहा कि मंत्रालय का दृष्टिकोण संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक शासनादेश के खिलाफ है। पर्यावरण मंत्रालय ने एनजीटी को बताया कि वायु गुणवत्ता के स्तर पर प्रौद्योगिकी एवं नीतिगत हस्तक्षेपों के प्रभाव का आकलन करने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से एक मध्यावधि राष्ट्रव्यापी समीक्षा की जा सकती है और आवश्यकता पडऩे पर लक्ष्य को अद्यतन किया जा सकता है।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति ए के गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मंत्रालय का यह रुख कि प्रदूषण को कुछ प्रतिशत की निश्चित सीमा के सिवाय नियंत्रित नहीं किया जा सकता है, सीधे संवैधानिक और वैधानिक शासनादेश को प्रभावित करता है। पीठ ने कहा, स्वच्छ वायु का अधिकार जीवन के अधिकार के रूप में मान्य है और वायु प्रदूषण को दूर करने में विफलता, जीवन के अधिकार से वंचित करना है।

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