नई दिल्ली/लखनऊ/कोलकाता। केंद्र सरकार की नीतियों और नए श्रम कानूनों के विरोध में बुधवार को 10 राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों द्वारा आहूत देशव्यापी हड़ताल का व्यापक असर कई राज्यों में देखने को मिला। इस हड़ताल में करीब 25 करोड़ कर्मचारियों के शामिल होने का दावा किया गया है। हड़ताल का असर खास तौर पर पश्चिम बंगाल, बिहार, केरल, पुडुचेरी और उत्तर प्रदेश में महसूस किया गया, जहां जनजीवन प्रभावित हुआ।
हड़ताल की प्रमुख वजहें और मांगे
हड़ताल का मुख्य कारण केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए श्रम संहिताएं हैं, जिन्हें श्रमिक संगठन श्रमिक विरोधी बता रहे हैं। इन संगठनों की प्रमुख मांगों में शामिल हैं।
- चारों श्रम संहिताओं को खत्म किया जाए।
- ठेका प्रणाली समाप्त की जाए।
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण रोका जाए।
- न्यूनतम वेतन ₹26,000 प्रतिमाह किया जाए।
- स्कीम वर्कर्स को राज्य कर्मचारी घोषित किया जाए।
- पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल की जाए।
- सभी फसलों पर स्वामीनाथन आयोग के फॉर्मूले के आधार पर MSP तय की जाए।
- किसानों के लिए कर्ज माफी की व्यवस्था की जाए।
पश्चिम बंगाल में विरोध मार्च और उपद्रव,केरल और कोयंबटूर में ठप रहीं बस सेवाएं
पश्चिम बंगाल के कोलकाता में वामपंथी यूनियनों ने जादवपुर रेलवे स्टेशन पर प्रदर्शन किया। कुछ प्रदर्शनकारी स्टेशन परिसर में घुस गए, जिससे रेल सेवाएं बाधित हुईं। कुछ क्षेत्रों में आगजनी की घटनाएं भी सामने आईं। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर प्रदर्शनकारियों को खदेड़ दिया।केरल के कोयंबटूर और कोझीकोड में सार्वजनिक परिवहन पूरी तरह ठप रहा। कोट्टायम और कोच्चि में दुकानें, मॉल और बाजार बंद रहे। सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा और सामान्य जनजीवन थम गया।
पुडुचेरी में ऑटो-बसे नदारद, स्कूलों में छुट्टी
पुडुचेरी में हड़ताल का असर व्यापक रहा। सड़कों पर निजी बसें, ऑटो और टेंपो नहीं चले। निजी स्कूलों ने सुरक्षा कारणों से अवकाश घोषित कर दिया। बाजार, दुकानें, सब्जी और मछली मंडियां पूरी तरह बंद रहीं।
उत्तर प्रदेश में भी हड़ताल को मिला समर्थन,झारखंड में कोयला उत्पादन ठप, बैंकिंग सेवाएं प्रभावित
संयुक्त किसान मोर्चा और ट्रेड यूनियनों ने उत्तर प्रदेश में भी हड़ताल को सफल बनाने की अपील की। प्रमुख कार्यक्रम अपर श्रमायुक्त कार्यालय के बाहर आयोजित किया गया। बिजली, बीमा, बैंक, रेलवे समेत विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने हड़ताल में भाग लिया। राज्य कर्मचारी बीएन सिंह प्रतिमा के पास एकत्र हुए, जबकि बिजली विभाग के कर्मचारी शक्ति भवन पर प्रदर्शन करते नजर आए। यूपी के श्रमिक नेताओं उमाशंकर मिश्रा (एचएमएस), चन्द्रशेखर (एटक), दिलीप श्रीवास्तव (इंटक), प्रेम नाथ राय (सीटू), विजय विद्रोही (एक्टू) आदि ने हड़ताल को ऐतिहासिक करार दिया।

झारखंडमें कोयला श्रमिकों की हड़ताल के कारण उत्पादन और परिवहन ठप हो गया। बैंकिंग क्षेत्र में भी दैनिक कारोबार प्रभावित रहा। रांची में दो संयुक्त रैलियां निकाली गईं, हालांकि शहर की सड़कों और बाजारों में हड़ताल का असर सीमित रहा। AITUC झारखंड इकाई के महासचिव सुवेंदु सेन ने कहा कि 17 सूत्री मांगों को लेकर यह आंदोलन जरूरी है।
वामपंथी दलों का समर्थन, आंदोलन को बताया निर्णायक लड़ाई,पहले स्थगित हुई थी हड़ताल
सीपीएम, सीपीआई, माले, फारवर्ड ब्लॉक, आरएसपी समेत अन्य वाम दलों ने इस हड़ताल को समर्थन दिया है। उनके नेताओं ने इसे सिर्फ मजदूरों की नहीं, बल्कि किसानों, खेत मजदूरों, छात्रों और युवाओं की लड़ाई बताया।

भाकपा के प्रदेश सचिव महेंद्र पाठक ने छोटे-बड़े सभी विक्रेताओं से केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ हड़ताल में शामिल होने की अपील की।गौरतलब है कि यह हड़ताल पहले 20 मई को प्रस्तावित थी, लेकिन पहलगाम आतंकी हमले और उसके बाद हुए ऑपरेशन सिंदूर’ के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था।