शिववास योग में नाग पंचमी आज, होगी नाग देवता की पूजा

लखनऊ। सावन में नाग पंचमी यानी का दिन बहुत खास माना जाता है। इस साल सावन में नाग पंचमी पर शिववास योग बन रहा है। इस साल नाग पंचमी का पर्व 29 जुलाई को मनाया जाएगा। शिववास योग बहुत खास माना जाता है। ऐसा रहा जाता है। कि इस योग में भगवान शिव मां पार्वती के साथ कैलाश में वास करते हैं, जिससे वो सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। इस दिन नाग देवता की पूजा करने से सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। बहुत खास है। दरअसल पंचमी तिथि को हमें नागों से यह प्रार्थना करना चाहिए कि जो नाग पृध्वी, पर, आकाश, स्वर्ग, सूर्य की किरणों, सरोवरों, कूप में रहते हैं, हम पर प्रसन्न हों। इस प्रकार पूजा करने बाद किसी ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। इसके लिए दीवार पर नागों की आकृति बनाकर उनको विभिन्न नेवैद्य का भोग लगाना चाहिए। भविष्यपुराण में नागों की पूजा में कहा गया है। सांपों की पूजा के लिए सबसे अच्छा दिन नाग पंचमी तिथि है। यह तिथि महापुण्य देने वाली कही गई है। इसके लिए पंचमी को व्रत करना चाहिए और एक बार भोजन करनी चाहिए। जो साल की पंचमी तिथि का व्रत करता है, उसे इस दिन नागों की पूजा कर, सोना, मिट्टी या चांदी का नाग बनवाकर उनकी कई नेवेद्यों से पूजा करनी चाहिए। व्रत के पारण के समय 5 ब्राह्मणों को खाना खिलाना चाहिए। जिनके माता -पिता सांप के कटने से मरते हैं, उनकी सद्गति के लिए नाग पंचमी के दिन विशेष पूजा अर्चना कर व्रत करना चाहिए।

नाग पंचमी पर अद्भुत योग
नाग पंचमी पर शिववास योग का अद्भुत संयोग हो रहा है। यह योग बहुत विशेष है। इस योग में भगवान शिव मां पार्वती कैलाश में वास करते हैं और भक्तों की मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं। इस शुभ योग में नाग देवता की पूजा करने से हर तरह के सुखों की प्राप्ति होती है। पंचमी तिथि पर नागों से प्रार्थना करना चाहिए कि पृध्वी, आकाश, स्वर्ग से लेकर सूर्य की किरणों, सरोवर, कुआं आदि में वास करने वाले जो भी नाग देवता है वो हम पर प्रसन्न हों। नाग पंचमी पर पूजा करने बाद ब्राह्मण को भोजन करवाने का नियम है। इसके लिए नागों की दीवार पर आकृति बनाना चाहिए और फिर नेवैद्य का भोग अर्पित करना चाहिए।

नाग पंचमी का महत्व
सावन के महीने में सांप भू गर्भ से निकलकर भू तल पर आ जाते हैं। माना जाता है कि नाग किसी व्यक्ति को नुकसान न पहुंचाएं, इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि को बिहार, बंगाल, उड़ीसा, राजस्थान आदि स्थानों पर नाग देवता की पूजा की जाती है। वहीं, शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को देश के अन्य राज्यों में नाग पंचमी मनाई जाती है। शास्त्रों और पुराणों के अनुसार, नाग देवता स्वयं पंचमी तिथि के स्वामी हैं। ऐसे में इस दिन उनकी पूजा करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण हो सकती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। मान्यता है कि नाग पंचमी पर विधि-विधान से नाग देवता की पूजा करने से कुंडली में मौजूद राहु व केतु से जुड़े दोषों से मुक्ति मिल सकती है। नाग देवता को पाताल लोक का भी स्वामी बताया गया है। ऐसे में पंचमी तिथि के दिन भूमि की खुदाई भूलकर भी नहीं करनी चाहिए।

पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के बाद साफ वस्त्र धारण करने चाहिए। इसके बाद, पास के शिवालय में जाकर विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें और व्रत का संकल्प लें। अब अपने घर, रसोई और मंदिर के दरवाजे के दोनों ओर खड़िया से पुताई करके कोयले से नाग देवता का चिन्ह बना लें। अगर ऐसा संभव न हो, तो आप नाग देवता की तस्वीर का प्रयोग भी कर सकते हैं। फोटो लगाने के बाद घर में नाग देवता विधि-विधान से पूजा करें और फिर पास के खेत या ऐसे स्थान पर दूध का कटोरा रखकर आ जाएं जहां सांप आ सकते हैं। इस दिन सेवई और चावल बनाने का भी खास महत्व होता है। अब नाग देवताओं को दूध और जल से स्नान कराएं। साथ ही, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अर्पित करें। अब अंत में आरती करें और नाग पंचमी की कथा का पाठ भी अवश्य करें। इससे बेहद शुभ फल की प्राप्ति होती है।

मनकामेश्वर मंदिर में होगा नाग शृंगार, दंगल में लगेंगे दांव, सजेंगे मेले

लखनऊ। मनकामेश्वर मंदिर की महंत देव्या गिरि ने बताया कि नाग पंचमी पर सुबह पांच बजे मंदिर के कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। भोलेनाथ का भव्य नाग शृंगार होगा। काल सर्प दोष और रुद्राभिषेक का विशेष पूजन होगा। भक्त भोलेनाथ का दूध और जल से अभिषेक कर आशीर्वाद लेंगे। वहीं राजेन्द्रनगर स्थित महाकाल मंदिर के वरिष्ठ सेवादर अतुल मिश्रा ने बताया कि नागपंचमी पर रात 12 बजे कपाट भक्तों के लिए खुल जाएंगे। सुबह चार बजे भस्म आरती होगी। दिन में काल सर्प दोष निवारण और रुद्राभिषेक कर विशेष पूजन होगा।
नागपंचमी गुड़िया के अवसर पर इस दिन राजधानी के तमाम आस.पास के गांवों में दंगल भी खेले जाएंगे। बीकेटी के शिवपुरी, इटौंजा के अमानीगंज और कुम्हरावां के पलिया गांव समेत माल.मलिहाबाद और मोहनलालगंज के कई इलाकों में दंगल खेले जाएंगे। सदर के अखाड़ों में भी मिट्टी मली जाएगी, जहां पहलवान दांव लगाएंगे। इसके अलावा मनकामेश्वर,कोनेश्वरए,कल्याण गिरि, मोहनरोड स्थित बुद्धश्वर महादेव मंदिर समेत तमाम शिवालयों में पूजन और बाहर नाग पूजन किया जाएगा, मेले लगेंगे। उधर नागपंचमी पर हुसैनगंज.छितवापुर में लगने वाले प्राचीन गुड़िया मेले की भी तैयारियां जोरों पर रही। रात तक मेले में लगने वाले झूले और दुकानें सज रही थीं।

गली-गली घूमेंगे नागराज, चौराहे पर पिटेंगी गुड़िया:
श्रावण मास शुक्लपक्ष की पंचमी नागपंचमी मंगलवार को गली-गली नागराज घूमते फिरेंगे। नागराज गलियों में बजती हुई बीन के साथ दिखाई देंगे तो चौराहों पर रंग बिरंगी डंडियों से गुड़िया पीटी जाएंगी। सुबह से ही घरों में सपार्कृति पूजन के बाद शाम को राजधानी और गांव देहात की हर गली.चौराहा गुड़ियों और रंग बिरंगी डंडियों से पट जाएगा। इस दिन भगवान भोले की पूजा कर नागों को गौदुग्ध पिलाया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भविष्य में सर्पभय नहीं रहता। घर से दरिद्रता दूर भगाने के लिये शाम को चौराहों पर बच्चों द्वारा गुड़िया का भी पीटा जाना शुभ माना जाता है।

खूब बिकी रंग बिरंगी डंडियां:
नागपंचमी के चलते दिनभर शहर के बाजारों में रंग बिरंगी डंडिया खरीदते लोग दिखे। अमीनाबाद, गणेशगंज, कैसरबाग, डालीगंज, चौक, डंडइया, निशातगंज, चिनहट समेत तमाम बाजारों में बच्चों और बड़ों ने मोलभाव कर रंग-बिरंगी डंडिया बेहया की लकड़ी से बनी खरीदी।

हुसैनगंज में लगेगा गुड़ियन का मेला:
नवाबों के समय से हुसैनगंज में लगता आ रहा गुड़ियन का मेला इस बार फिर लगेगा। ओसीआर बिल्डिंग के पास से महाराणा प्रताप चौराहे के पास लगने वाले मेले में सजावट से लेकर खान पान की दुकानें सजने लगी है। जहां दूर दराज से आए लोग बड़ी संख्या में अपनी जरूरत के सामान की खरीदारी करते हैं।

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