लखनऊ। शहादत एक अजीम नेमत है और शहादत के खून से पूरी इस्लामी तारीख लबरेज है। अल्लाह के रास्ते में जो शहीद किए गए हैं, उन्हें मुर्दा मत कहो, बल्कि वह जिन्दा और कामयाब है। यह बात हाजी कारी मोहम्मद सिद्दीक ने अकबरी गेट स्थित मस्जिद एक मीनारा में आयोजित जलसा शोहदाए किराम में कही। हाफिज अब्दुर्रशीद की अध्यक्षता में आयोजित जलसे का आगाज कारी मोहम्मद अफ्फान ने तिलावते कलामे पाक से किया। खिताब करते हुए कारी सिद्दीक ने यौमे आशूरा की फजीलत बयान की।
इस्लामिक सेंटर आॅॅफ इंडिया की ओर से ऐशबाग ईदगाह स्थित जामा मस्जिद में हुए जलसा शोहदा, दीने हक व इस्लाहे मुआशरा को मौलाना मोहम्मद मुश्ताक ने खिताब किया। जलसे का आगाज मौलाना मो. शमीम ने तिलावते कलामे पाक से किया। मौलाना मुश्ताक ने कहा कि इस्लामी शरीयत खुदा की बनाई हुई है। इसके कानून में दुनिया की कोई ताकत बदलाव नहीं कर सकती। हर मुसलमान को एक जुबान होकर दुनिया को बताना होगा कि हम इस्लामी शरीयत और खुदा के बनाए कानून की पूरी तरह हिफाजत करेंगे। खुदा की लाई शरीयत आखिरी शरीयत है। अब कयामत तक कोई शरीयत नहीं आएगी, इसलिए मुसलमानों को उसी शरीयत की पाबन्दी करनी होगी। आल इंडिया मोहम्मदी मिशन की ओर से तालकटोरा के लेबर कॉलोनी में मौलाना अबुल इरफान फिरंगी महली की सरपरस्तीए इकबाल हाशमी की अध्यक्षता में जलसा शोहदाए कर्बला आयोजित किया गया। जलसे का आगाज हाफिज शाहनवाज ने तिलावते कलामे पाक से किया। जलसे को खिताब करते हुए मौलाना मोहम्मद आसिफ ने इमाम हुसैन के कर्बला पहुंचने और शबे.आशूर असहाब से गुफ्तगू का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि मोहर्रम का रोजा रमजान के बाद अफजल रोजा है।