नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को कहा कि पराली जलाने के मुद्दे पर चर्चा करने और उसका समाधान निकालने के लिए एक अक्टूबर को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के पर्यावरण मंत्रियों की बैठक आयोजित की जाएगी। पराली जलाए जाने से हर साल प्रदूषण फैलता है।
उन्होंने कहा कि डिजिटल बैठक में दिल्ली और चार पड़ोसी राज्यों के पर्यावरण सचिवों के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनडीएमसी और डीडीए जैसे निगमों के सदस्य भी शामिल होंगे। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि बैठक में पराली जलाने की समस्या को नियंत्रित करने के लिए पिछले दो वर्षों में राज्यों द्वारा किए गए कार्यों की समीक्षा की जाएगी।
उन्होंने कहा, दिल्ली में सर्दियों की शुरुआत में, जो अमूमन 15 अक्टूबर से शुरू होती हैं, किसान पराली को जलाना शुरू कर देते हैं और सर्दी के पूरे मौसम में इससे प्रदूषण फैल जाता है। उन्होंने कहा, यह (धुंध) सिर्फ दिल्ली तक ही सीमित नहीं है, बल्कि एनसीआर के शहरों, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के कई स्थानों तक फैली हुई है। हर कोई इस प्रदूषित हवा का खामियाजा भुगतता है। इसलिए, इन सभी पांच राज्यों के सहयोग से हमने 2016 में इस मुद्दे से निपटना शुरू किया।
जावड़ेकर ने मीडिया को बताया, इसके लिए दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के पर्यावरण मंत्रियों की एक ऑनलाइन बैठक एक अक्टूबर को आयोजित की जाएगी। पर्यावरण मंत्रियों के अलावा, बैठक में राज्यों के पर्यावरण सचिव, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य और सभी नगर निगमों, डीडीए और एनडीएमसी के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
उन्होंने कहा, 2016 में, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता सूचकांक (एनएक्यूआई) शुरू किया। हम मानते हैं कि किसी समस्या को स्वीकार करना उसके समाधान की शुरुआत है। इसलिए, यह एक महत्वपूर्ण बैठक है। मुझे विश्वास है कि सभी लोग बैठक में भाग लेंगे। धान की कटाई के मौसम के दौरान पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कई हिस्सों में किसान अपने खेतों में बची पराली को जला देते हैं। 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच पराली जलाए जाने की घटनाएं अधिक होती हैं।