लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को 31 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती के आयोजन को भव्य तरीके से सम्पन्न कराने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा कि आदि कवि महर्षि वाल्मीकि नेे महाकाव्य रामायण की रचना कर लोगों को सत्य एवं कर्तव्यपरायणता पर चलने का मार्ग दिखाया। महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण सामाजिक मूल्यों, मानव मूल्यों एवं राष्ट्र मूल्यों की स्थापना का आदर्श है।
उत्तर प्रदेश का यह सौभाग्य है कि भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या सहित रामायणकालीन अनेक स्थल राज्य में स्थित हैं। उन्होंने वाल्मीकि जयन्ती पर आयोजित किये जाने वाले सभी कार्यक्रमों में कोविड-19 के प्रोटोकाॅल और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन कराने के निर्देश भी दिये हैं।
इस संबंध में मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी ने सभी मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों (विधानसभा के उपचुनाव वाले जिलों देवरिया, जौनपुर, उन्नाव, कानपुर नगर, अमरोहा, फिरोजाबाद, बुलंदशहर को छोड़कर) को पत्र लिखकर 31 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि जयंती के आयोजन को भव्य तरीके से सम्पन्न कराने के निर्देश दिये गये हैं।
पत्र में मुख्य सचिव ने उल्लिखित किया है कि महर्षि वाल्मीकि द्वारा वर्णित स्थल, जिन्हें राम-जानकी मार्ग, राम वन-गमन मार्ग आदि के रूप में जाना जाता है, पूरे भारत वर्ष में लगभग 280 स्थलों के रूप में आज भी मौजूद हैं। उत्तर प्रदेश में राम-जानकी मार्ग और राम वन-गमन मार्ग के तहत अनेक स्थल मौजूद हैं, जहां भारतीय संस्कृति के मूल तत्व एवं मान्यताएं सुरक्षित हैं।
मुख्य सचिव ने कहा है कि कि इस साल 31 अक्टूबर को महर्षि वाल्मीकि की जयंती का पावन दिवस है, जिसे प्रदेश के सभी जिलों में भव्य रूप में मनाये जाने का निर्णय लिया गया है। वाल्मीकि रामायण में निहित मानव मूल्यों, सामाजिक मूल्यों व राष्ट्र मूल्यों के व्यापक प्रचार-प्रसार व जनमानस को इससे जोड़ने के लिए महर्षि वाल्मीकि से संबंधित स्थलों, मंदिरों आदि पर दीप प्रज्ज्वलन व दीप दान के साथ-साथ लगातार 6, 12 या 24 घण्टे का वाल्मीकि रामायण का पाठ किये जाने का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है। श्रीराम व श्री हनुमान और रामायण से संबंधित अन्य महत्वपूर्ण स्थलों व मंदिरों का चयन करते हुए, वहां सुरुचिपूर्ण आयोजन के साथ रामायण पाठ व भजन आदि के कार्यक्रम कराये जायेंगे।
तिवारी ने निर्देश दिये हैं कि इन कार्यक्रमों के आयोजन के लिए स्थानीय स्तर पर विभिन्न सांस्कृतिक दलों व कलाकारों का चयन संस्कृति विभाग एवं सूचना विभाग द्वारा किया जाये, जिसका समन्वय जिला प्रशासन द्वारा किया जाये।
जिले स्तर पर चयनित मंदिरों व स्थलों पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों के संबंध में जिलाधिकारी कार्यक्रम के आयोजन की मॉनिटरिंग के साथ-साथ कोविड-19 के लिए शासन द्वारा जारी दिशा-निर्देशों व गाइडलाइन का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें।
सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा पालन करते हुए इस भव्य एवं दिव्य आयोजन में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की व्यापक उचित भागीदारी भी सुनिश्चित की जाये। प्रिंट व इलेक्ट्राॅनिक मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से आयोजन का व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करते हुए जनमानस को इससे जोड़ने की कार्यवाही की जाये।
मुख्य सचिव ने यह भी कहा है कि प्रदेश स्तरीय इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक क्रियान्वित करने और सभी तरह के समन्वय के लिए संयुक्त निदेशक, संस्कृति निदेशालय डाॅ योगेन्द्र प्रताप सिंह को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। जिलाधिकारी जिले स्तरीय विभिन्न विभागों के समन्वय के माध्यम से इस कार्यक्रम को भव्यता के साथ सम्पन्न करायें।
इस आयोजन के लिए जिलाधिकारी अपने जिले में एक नोडल अधिकारी नामित करें, जिनका नाम, मोबाइल नंबर एवं ई-मेल आईडी संस्कृति विभाग के नामित नोडल अधिकारी की ई-मेल आईडी पर भेजी जाये। उन्होंने सम्पन्न कराये गये कार्यक्रमों के विवरण व फोटोग्राफ्स संस्कृति विभाग के नोडल अधिकारी की ई-मेल पर उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिये हैं।