एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में नाटक का मंचन
लखनऊ। कारवां थिएटर ग्रुप द्वारा निर्मित नाटक महादेव का मंचन एसएनए के संत गाडगे प्रेक्षागृह में किया गया। महादेव नाटक जो कि महिला श्रृंखला की नाट्य प्रस्तुति है जो महिला सशक्तिकरण को प्रोत्साहित करती है। प्रकृति के पक्षधर महादेव के आख्यानों में स्पष्ट संदेश है, निसर्ग से निकटता और कृत्रिमता से दूरी का। निर्गुण और सगुण उभयरूपों में वंदित । दर्शन और अध्यात्म की हर अवधारणा को पुष्ट करता है महादेव का सदाशिव स्वरूप। अनंत विस्तार लिए अग्नि मय, प्रकाशमान लिंग स्वरूप से प्रकट, रुद्र रूप द्वारा ब्रह्मा और विष्णु के उपजे वर्चस्व के द्वंद्व के समाधान से प्रारंभ होता है नाटक महादेव। मनुष्य के भय, लालच और भौतिकता के प्रति गहन आसक्ति से उपजी वासनाओं से मुक्ति का तार्किक समाधान देते महादेव,, शक्ति यानि नारी को सर्वोपरि स्थान पर रखते हैं। शतरूपा, सती, उमा, काली, गंगावतरण के प्रसंगों में उनका शक्ति को सम्मान देता चरित्र इसका ठोस प्रमाण हैं। ब्रह्मा का पुत्री स्वरूपा शतरूपा से आकर्षित होने पर उनके पांचवें सिर को काट कर महादेव ने चेतावनी दी है, मयार्दा में रहने की। सर्वोच्च शिखर कैलाश पर विराजे महादेव को विवाह के लिए मना कर ब्रह्मा ने सती से सशर्त विवाह तो करवा दिया, किंतु ससुर दक्ष के अहंकार से क्षुब्ध सती के आत्मदाह से उपजा क्रोध और क्षोभ महाविनाश का कारण बना। शक्ति ने पुन: शिव को मनाया समर्पित प्रेम से,,,तो हेमवान की पुत्री से विवाह किया विचित्र बारात ले जाकर। गृहस्थ भी हैं, महायोगी भी। रक्षक भी हैं, संहारक भी। पल में तुष्ट होने वाले आशुतोष भी। सदाशिव के अनोखे विस्तार को नवीन युगानुकूल दृष्टि से दिखाती नाट्य प्रस्तुति है , महादेव। इस कार्यक्रम के माध्यम से भारत की कला , संस्कृति और महान विभूतियों के आदर्श, त्याग एवं कर्तव्यपरायणता को मंच पर जीवंत करने का प्रयास कर रहे हैं, इसके साथ ही इस नाट्य प्रस्तुति में भारत की लुप्त होती कलाओं जैसे कि मयूरभंज, छऊ, मणिपुरी मार्शल आर्ट, थागता, कलरीपट्टू, जात्रा, कैबुल लम्जाओ और लाइहरोवा का पूर्णरूप से प्रयोग किया गया है। इस नाट्य प्रस्तुति में मीता वशिष्ठ, विनिता जोशी, फरहा, आंचल कुमारी, शिल्की भार्गव, आकंक्षा कुमारी, अपूर्वा मोहिनी पंडित, शयाली सहित 9 महिला कलाकार 20 भूमिकाओं को बहुत ही प्रभावी रूप से अभिनीत किया।





