लखनऊ। ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के वरिष्ठ सदस्य जफरयाब जिलानी ने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर जमीन देने के निर्णय पर सवाल उठाए हैं। जीलानी ने भाषा से कहा, राज्य सरकार ने अयोध्या जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सोहावल में मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का जो फैसला किया है, वह वर्ष 1994 में संविधान पीठ द्वारा इस्माइल फारुकी मामले में दिए गए निर्णय के खिलाफ है।
उन्होंने कहा, उस निर्णय में यह तय हुआ था कि केन्द्र सरकार द्वारा अधिगृहीत की गई 67 एकड़ जमीन सिर्फ चार कार्यों मस्जिद, मंदिर, पुस्तकालय और ठहराव स्थल के लिए ही इस्तेमाल होगी। अगर उससे कोई जमीन बचेगी तो वह उसके मालिकान को वापस कर दी जाएगी। ऐसे में मस्जिद के लिए जमीन इसी 67 एकड़ में से देना लाजमी था।
जीलानी ने कहा, हालांकि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड पहले ही तय कर चुका है कि वह मस्जिद की जमीन के बदले कहीं और भूमि नहीं लेगा, लिहाजा अब यह सुन्नी वक्फ बोर्ड पर निर्भर है कि वह सरकार के सामने इस बात को रखे। इस बीच, जमीन लेने के सवाल पर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है। बोर्ड के अध्यक्ष जुफर फारुकी से कोई सम्पर्क नहीं हो सका।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के एक अन्य वरिष्ठ कार्यकारिणी सदस्य मौलाना यासीन उस्मानी ने मंत्रिमण्डल के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए भाषा से कहा, बोर्ड, उससे जुड़ी प्रमुख तंजीमों और लगभग सभी मुसलमानों का फैसला है कि हम अयोध्या में मस्जिद के बदले कोई और जमीन नहीं लेंगे।
उन्होंने कहा, सुन्नी वक्फ बोर्ड मुसलमानों का नुमाइंदा नहीं है। वह सरकार की संस्था है। बोर्ड अगर जमीन लेता है तो इसे मुसलमानों का फैसला नहीं माना जाना चाहिए। इधर, ऑल इण्डिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना यासूब अब्बास ने कहा, उच्चतम न्यायालय ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने का आदेश दिया है। जमीन लेने या न लेने के बारे में उसे ही निर्णय लेना है। उन्होंने कहा, वक्फ बोर्ड जो भी फैसला ले उससे अमन कायम रहे। अब मजहब के नाम पर फसाद नहीं होना चाहिए। सियासी लोग फसाद कराते हैं।
हालांकि अब्बास ने यह भी कहा कि बाबरी मस्जिद के मामले पर शिया बोर्ड अब भी ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के साथ है। मालूम हो कि उच्चतम न्यायालय ने गत नौ नवम्बर को अयोध्या मामले में निर्णय देते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण कराने और मुसलमानों को अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर मस्जिद बनाने के लिए पांच एकड़ जमीन देने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश मंत्रिमण्डल ने इसके अनुपालन में बुधवार को अयोध्या जिला मुख्यालय से 18 किलोमीटर दूर सोहावल तहसील के धुन्नीपुर गांव में जमीन देने का निर्णय लिया। हालांकि ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड मस्जिद के बदले कोई और जमीन लेने से पहले ही इनकार कर चुका है।