लखनऊ। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित एक बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियों के कोविड-19 संक्रमित होने और उनमें से सात के गर्भवती होने की घटना का संज्ञान लिया है। आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब मांगा है।
आयोग का मानना है कि इस सिलसिले में आयी मीडिया रिपोर्ट अगर सही हैं तो इससे साबित होता है कि लोक सेवक पीड़ित लड़कियों को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहे। सोमवार को जारी आयोग के बयान में कहा गया है कि लोक सेवक सरकारी हिफाजत में रहने के बावजूद न तो उन लड़कियों के जीवन के अधिकार की रक्षा कर पाये और न ही उनकी स्वतंत्रता और गरिमा की सुरक्षा।
प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे गये नोटिस में मांगी रिपोर्ट
आयोग ने प्रदेश के मुख्य सचिव को भेजे गये नोटिस में उनसे इस प्रकरण की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने सरकार से अपेक्षा की है कि वह इस मामले की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जांच करायेगी। साथ ही वह पूरे प्रदेश के संरक्षण गृहों में रहने वाली महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य की समीक्षा भी करायेगी। आयोग ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को भी नोटिस जारी करके उनसे इस मामले में दर्ज मुकदमे और जांच की स्थिति से संबंधित रिपोर्ट मांगी है।
57 लड़कियों में से सात गर्भवती
गौरतलब है कि कानपुर जिले में राज्य सरकार द्वारा संचालित बालिका संरक्षण गृह में कोविड-19 से संक्रमित 57 लड़कियों में से सात गर्भवती मिली हैं। जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि गर्भवती मिली पांच लड़कियां ही कोविड-19 संक्रमित हैं। इनको आगरा, एटा, कन्नौज, फिरोजाबाद और कानपुर की बाल कल्याण समितियों द्वारा कानपुर रेफर किया गया था। उन्होंने बताया कि गर्भवती दो अन्य लड़कियां कोविड-19 संक्रमित नहीं पायी गयी हैं।



 
                                    

