जम्मू-कश्मीर को भारत से अलग करने वाले सांविधानिक प्रावधानों अनुच्छेद 370 एवं 35ए को खत्म करने और जम्मू कश्मीर राज्य को विभाजित कर दो केन्द्र शासित प्रदेश बनाये रखने का फैसला हुए एक सप्ताह बीत गये हैं। एक सप्ताह में ही मोदी मंत्रिमंडल ने फैसला किया और संसद के दोनों सदनों में भारी बहुत से पास भी करा लिया। इन प्रावधानों को राष्ट्रपति ने मंजूरी भी प्रदान कर दी है और 31 अक्टूबर से राज्य का विभाजन लागू भी हो जायेगा। इस बड़े और कड़े फैसले के एक सप्ताह के भीतर कश्मीर में एक भी गोली न चलना इतनी बड़ी उपलब्धि है जिसकी कल्पना भी नहीं गयी थी। जम्मू-कश्मीर के नेताओं ने इन विवादित मुद्दों को लेकर इतनी धमकियां एवं चेतावनियां दे रखी थीं कि ऐसा लगता था मानो इन मुद्दों को छूने भर से ही आग लग जायेगी। बहरहाल अभी तक सब कुछ सरकार के प्लान के मुताबिक हो रहा है। कश्मीर में शांति है। धीरे-धीरे सरकार ढील दे रही है और जन जीवन सामान्य हो रहा है।
कश्मीर घाटी में पटरी पर लौटती जिंदगी से जम्मू कश्मीर के राजनीतिक दल, अलगाववादी संगठन और आतंकियों को फंडिंग करने वाले एनजीओ निश्चय ही परेशान होंगे। वे कश्मीर में खलल डालने का प्रयास कर सकते हैं। कश्मीर में धारा 370 हटाने और विभाजन के फैसले को सात दिन हो गये। अभी तक एक भी गोली नहीं चली तो यह इस बात का सबूत है कि सरकार ने बहुत ही पुख्ता तैयारी की है। लेकिन जैसे-जैसे स्थिति सामान्य होगी और आम जन-जीवन बहाल हो जायेगा तो कश्मीर के अलगाववादी एवं आतंकी तत्वों को साजिशें रचने का मौका फिर मिलेगा। आतंकी इसका लाभ उठाकर कश्मीर में हिंसा कराने की कोशिश करेंगे। वे बड़े आतंकी हमले कर सकते हैं या फिर कोई आत्मघाती दस्ता तैयार कर खून-खराबे की स्थितियां निर्मित कर सकते हैं। दरअसल कश्मीर में जिस तरह भारत सरकार ने एक झटके में सारे फैसले कर डाले और उसे मुकाम तक पहुंचा दिया, उसके चलते आतंकियों को कोई मौका नहीं मिला। आतंकियों और उनको पालने-पोसने वाला पाकिस्तान भी इस पर भौचक है।
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री तक ने बौखलाहट में पुलवामा करने की धमकी दी है। इसलिए पाकिस्तानी सेना और आईएसआई आतंकियों के साथ मिलकर कोई हरकत कर सकती है। सरकार को इनके इरादों से सतर्क रहना होगा। कश्मीर में जन जीवन सामान्य होने के बाद आतंकी तत्व हिंसा की बड़ी साजिश को अंजाम दे सकते हैं। इसलिए सरकार को सुरक्षा बलों की तैनाती को इसी स्तर पर बनाये रखते हुए आतंकियों के सफाये को जारी रखना होगा। आतंकवादी सिर्फ बंदूक की भाषा समझते हैं और शायद इसीलिए भारत से लड़ रहे थे कि एक दिन वे बंदूक की गोलियों के बलपर कश्मीर छीन लेंगे। अब जबकि सब कुछ उनके हाथ से निकल गया है और विवादित धारायें खत्म होने के चलते सुरक्षा व्यवस्था सीधे केन्द्र सरकार के हाथ आ गयी है, तो आतंकियों की निगरानी और कार्रवाई आसान हो गयी है। अब कोई बाधा नहीं है। केन्द्र को पर्याप्त सुरक्षा, सतर्कता के साथ देश विरोधियों पर भय बनाये रखना चाहिए।