भातखंडे में बेगम अख्तर की स्मृति मे दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन
लखनऊ। भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय, लखनऊ द्वारा प्रख्यात गायिका एवं मल्लिकाए गजल के नाम से प्रसिद्ध बेगम अख्तर की स्मृति में उनकी जन्म शताब्दी के 111 वर्ष में दो दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के कलामंडपम सभागार में किया गया। इस कार्यक्रम का शुभांरभ विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. माण्डवी सिंह, विदुषी संगीता नेरूरकर, पं. धर्मनाथ मिश्र, विश्वविद्यालय के समस्त विभागाध्यक्ष द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन कर किया एवं पद्मभूषण बेगम अख्तर जी की प्रतिमा पे पुष्प अर्पण किए गए।
कार्यक्रम के पहले दिन विदुषी संगीत नेरूरकर (पुणे) ने अपनी गायन की प्रस्तुति बेगम अख्तर जी की ये देखना है सुकूं अब कहां से मिलता है… गजल से कार्यक्रम का प्रारंभ किया विशेष बात यह थी कि बेगम साहिबा की जीवन गाथा को साथ में बताते हुए उनकी संगीत यात्रा को बता कर गजल का गायन कार्यक्रम को भावपूर्ण बना रहा था। बेगम साहिबा पर संगीता नेरूरकर ने शोध परक कार्य किया है। सबको भाव-विभोर कर दिया। उनके सहयोगी कलाकारों में हारमोनियम पर पंडित धर्मनाथ मिश्रा और मोहित दुबे तबले पर और सारंगी पर विनायक सहाय शामिल रहे। आपको बताते चले कि बेगम अख्तर अवध की धरती से निकली एक प्रसिद्ध भारतीय गायिका थी, जिन्हें हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की एक प्रमुख गायिका के रूप में जाना जाता है। वह अपनी मधुर और भावपूर्ण आवाज के लिए प्रसिद्ध थी, और उन्हें मल्लिका-ए-गजल (गजल की रानी) के नाम से सम्मानित किया गया था। उनकी कुछ प्रसिद्ध गजलों में ए मोहब्बत तेरी दास्तान, कुछ तो दुनिया की इनायत है एवं हमरी अटरिया पे शामिल है। बेगम अख्तर का जन्म फैजाबाद, उत्तर प्रदेश में हुआ था। उन्होंने गजल, ठुमरी, और दादरा जैसी शास्त्रीय संगीत शैलियों में महारत हासिल की थी। बेमग अख्तर को उनके संगीत योगदान के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनके पद्मश्री, पद्ममभूषण और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार शामिल है। इस अवसर पर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. मांडवी सिंह जी ने बताया की अद्भुत संयोग था कि बेगम साहिबा कुछ समय तक भातखण्डे संस्कृति विश्वविद्यालय से भी जुड़ी रही। विश्वविद्यालय अपने इस ऐतिहासिक क्षण पर सदैव गौरान्वित रहा है। यह कार्यक्रम बेगम अख्तर की विरासत को सम्मानित करने के लिए आयोजित किया गया है। विश्वविद्यालय परिवार उन्हें स्मरण करते हुए हार्दिक श्रद्वाजंलि अर्पित करता है। कुलसचिव डॉ. सृष्टि धवन ने बताया कि यह कार्यक्रम संगीत प्रेमियों एवं विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को लिए एक अद्भुत अवसर है।





