आक्सफोर्ड के बाद अब भारत बायोटेक के स्वदेशी टीके के आपात इस्तेमाल को मंजूरी

  • पहले चरण में तीन करोड़ कोरोना योद्धाओं को मुफ्त वैक्सीन
  • टीकाकरण पर स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन की लोगों से गुमराह नहीं होने की अपील
  • सिर्फ भारत ऐसा देश जहां तैयार हो रही हैं कोरोना की चार वैक्सीन : जावडेकर

नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कहा है कि टीकाकरण के प्रथम चरण में सर्वाधिक प्राथमिकता वाले तीन करोड़ कोरोना योद्धाओं को वैक्सीन नि:शुल्क उपलब्ध कराई जाएगी। इन लोगों में एक करोड़ स्वास्थ्यकर्मी और अग्रिम मोर्चे के दो करोड़ कर्मचारी शामिल हैं। लाभार्थियों में 50 वर्ष से अधिक आयु के लोग और पहले से किसी बीमारी से ग्रसित इससे कम उम्र के लोग भी शामिल हैं। इसके पहले हर्षवर्धन कहा था कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं, अब पूरे देश के लोगों को मुफ्त वैक्सीन लगाई जायेगी।

इस मौके पर स्वास्थ्य मंत्री ने व्यापक स्तर पर टीकाकरण अभियान की क्षमता पर संदेहों को खारिज कर दिया। उन्होंने कोविड वैक्सीन के सुरक्षित और प्रभावी होने को लेकर अफवाहों और भ्रामक सूचनाओं से लोगों को गुमराह नहीं होने की अपील की। उन्होंने कहा कि वैक्सीन को मंजूरी देने से पहले सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा और अप्रूवल में सुरक्षा मानकों को लेकर कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इस बीच, कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में देश को दूसरी बड़ी सौगात मिली है।

केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोरोना पर विषय विशेषज्ञ समिति ने भारत बायोटेक के स्वदेशी कोविड वैक्सीन कोवाक्सिन के आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी दिए जाने की सिफारिश कर दी है। इससे पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की विशेषज्ञ समिति ने सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी देने की सिफारिश की थी। अब इन दोनों वैक्सीन को अंतिम मंजूरी के लिए देश के दवा महानियंत्रक यानी डीसीजीआई वीजी सोमानी के पास भेजा जाएगा।

वह इन वैक्सीन के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत देंगे। उधर, केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कोविशील्ड को आपातकालीन उपयोग के लिए मंजूरी मिलने के बाद खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि भारत शायद एकमात्र ऐसा देश है जहां कोरोना की चार वैक्सीन बनकर तैयार है। इन चार वैक्सिनों में कोविशील्ड, कोवैक्सीन, फाइजर और जायडस कैडिला शामिल है।

मालूम हो कि आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार की गई और दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित की गई वैक्सीन को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (एसआइआइ) कोविशील्ड के नाम से तैयार कर रही है। जबकि, भारत बायोटेक ने कोवैक्सीन नाम का स्वदेशी कोविड टीका विकसित किया है। बीते दिनों बताया गया था कि भारत बायोटेक की वैक्सीन के पहले चरण के प्रतिभागियों में टीका लगाए जाने के तीन महीने बाद तक एंटीबॉडी और टी-सेल्स देखी गई हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया था कि उक्त एंटीबॉडीज छह से 12 महीने तक रह सकते हैं। मालूम हो कि टी-सेल्स शरीर में लंबे वक्त तक मौजूद रहती हैं और वायरस के संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करती हैं। यही नहीं दूसरे चरण के अध्ययन में इस वैक्सीन के अच्छे नतीजे सामने आए थे। कोवैक्सीन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद और राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान मिलकर बना रहे हैं। भारत बायोटेक ने कोवाक्सिन के तीसरे चरण का ट्रायल नवंबर के मध्य में शुरू किया था।

वैक्सीन को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 संयंत्र में विकसित किया गया है। मालूम हो कि सीरम ने छह दिसंबर, भारत बायोटेक ने सात दिसंबर और फाइजर ने अपने टीके को नियामक मंजूरी देने के लिए चार दिसंबर को आवेदन दिया था।

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