200 से 300 रुपये किलो बिक रहा हुस्न आरा आम

लखनऊ। वैसे तो आम एक ऐसा फल है, जिसे खाना सभी पसंद करते हैं, इसीलिए आम को फलों का राजा भी कहा जाता है। शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसे आम खाना पसंद न हो, छोटे बड़े सभी लोगों का यह पसंदीदा फल है। हमारे देश में आम के कई किस्म पाए जाते हैं, जिसमें से कुछ ऐसी किस्में हैं, जिनकी काफी ज्यादा डिमांड रहती है। जैसे दशहरी, लंगड़ा, चौसा, आम्रपाली, यकुति हुस्नआरा आदि आम हैं। इन दिनों हुस्नआरा आम की काफी मांग है। लोग इसे खूब पसंद कर रहे हैं, जिसके चलते यह काफी महंगा भी बिक रहा है।

हुस्न आरा आम इन दिनों 200 से 300 रुपये किलो बिक रहा है। दरअसल हुस्नआरा आम की डिमांड पूरे देशभर में है। हुस्नआरा की अच्छी-खासी डिमांड होने के कारण किसानों को इससे बहुत अच्छा मुनाफा मिलता है। इस आम के अच्छे स्वाद, रंग और मिठास के कारण इसे लोग बहुत ज्यादा पसंद करते हैं। एक बार यदि आपने हुस्नआरा आम खाना शुरू कर दिया, तो आपको भी नहीं पता चलेगा कि कब आपने दो-चार आम खत्म कर दिए हैं। कहा जाता है कि हुस्नआरा आम खाने में स्वादिष्ट होने के कारण काफी रसीला भी होता है, जिससे लोग इस आम को खाना पसंद करते हैं। इसलिए मार्केट में इस आम की हाई डिमांड के कारण किसान इस आम की पैदावार में बढ़ोतरी कर रहे हैं।


वहीं आम की बागवानी करने वाले मोहम्मद इरफान ने बताया कि हुस्नआरा आम रंगीन वैरायटी का होता है। यह देखने में जितना सुंदर होता है, उतना ही खाने में मीठा और रसीला होता है। इसलिए लोग इसे काफी पसंद करते हैं। जिसके कारण यह आम 200 से 300 रुपये किलो में जाता है। क्योंकि इसकी बागवानी बहुत कम है, जिसके कारण यह महंगा बिकता है। पूरे शहर में यह आम आपको मिलेगा।

लखनऊ में मलिहाबादी आम की खूब डिमांड, जमकर खरीद रहे लोग
आमों की बैगिंग करने से किसानों को मिला फायदा : उपेन्द्र कुमार सिंह

लखनऊ के मलिहाबाद का दशहरी आम आमों का राजा कहलाता है और स्वाद में लाजवाब होता है। इस बार आम ने इतिहास रच दिया है। पहली बार दशहरी आम मार्केट में 90 से लेकर 110 रुपए किलो तक बिक रहा है। ज्यादातर लोग किसानों से उनके बाग में ही जाकर मुंह मांगी कीमतों पर दशहरी आम खरीद रहे हैं। आखिर कैसे दशहरी आम जिसका अस्तित्व खतरे में पड़ गया था, वो अचानक लोगों को इतना पसंद आ रहा है। यही जानने के लिए जब अवध आम उत्पादक एवं बागवानी समिति नबीपनाह मलिहाबाद के महासचिव उपेंद्र कुमार सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसका पूरा श्रेय बैग को जाता है।

इस बार किसानों ने बैगिंग की थी। इस बार उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड दोनों को मिलाकर 70 लाख बैगिंग की गई थी। उपेंद्र कुमार सिंह ने एक कार्बाइड से पकाया हुआ आम और दूसरा बैगिंग वाला आम दिखा कर इन दोनों में अंतर बताते हुए समझाया कि जब कार्बाइड से पकाया हुआ आम हम काटते हैं तो यह अंदर से पिलपिला होता है और गुठली के आसपास जेली जमी होती है जो आम को ज्यादा दिन तक टिकने नहीं देती है, जिस वजह से दशहरी की क्वालिटी अच्छी हुई है और दशहरी आम इस बार किसानों को काफी फायदा पहुंचा रहा है। इसलिए सरकार भी अगले साल पांच करोड़ बैग किसानों को देने का वादा कर चुकी है। इसीलिए अभी तक दशहरी को बाहर नहीं भेजा जा रहा था, लेकिन बैगिंग वाले आम में जेली नहीं होती है।

अंदर से पिलपिला नहीं होता है, जिस वजह से यह ज्यादा दिन तक चल सकता है। इसलिए दशहरी आम को दूर दराज के देशों में भी भेजा जा रहा है, जिसका सीधा फायदा किसानों को हो रहा है। उपेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि सरकार ने बैग देने का ऐलान कर दिया है, यह अच्छी बात है। अगले साल दशहरी आम इससे भी बड़ा इतिहास रचेगा। उन्होंने कहा कि सरकार लंबे हो चुके दशहरी आम के बागों की छंटाई करवा दे, जिससे दशहरी आम के बागों को एक बार फिर से नया जीवन मिल सके।

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