लखनऊ। आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा वेद व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा तीन जुलाई को है। पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि आषाढ़ पूर्णिमा तिथि की शुरूआत दो जुलाई रात 8:21 बजे और पूर्णिमा तिथि समापन तीन जुलाई शाम 5:08 बजे पर गुरु पूजन के लिए निर्धारित है। इस साल गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजन का श्रेष्ठ मुहूर्त सोमवार की सुबह 8:44 से 10:27 बजे तक शुभ चौघड़िया है। इसके बाद दिन में 10:43 से 12:38 बजे तक अभिजीत मुहूर्त है। शाम 5:21 से 7:04 बजे तक अमृत का मुहूर्त है। साथ ही इस दिन सुनफा, बुधादित्य और ब्रह्म योग जैसे शुभ योगों संयोग रहेगा। वहीं मिथुन, कन्या, धनु और मीन राशि वालों के लिए भद्र योग और वृषभ, सिंह, वृश्चिक और कुंभ राशि वालों के लिए शश योग बन रहा है।
इन शुभ योग और मुहूर्त में गुरुदेव की पूजा करें। पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि गुरु पूर्णिमा के दिन चंद्रमा धनु राशि में रहते है, जिस पर बृहस्पति का शासन है, जिस कारण गुरु पूर्णिमा का महत्व और भी बढ़ गया है। गुरु पूर्णिमा पर शिष्य अपने गुरुओं की पूजा.अर्चना करते हैं। गुरु अर्थात वह महापुरुष, जो आध्यात्मिक ज्ञान एवं शिक्षा द्वारा अपने शिष्यों का मार्गदर्शन करते हैं। हिन्दू धर्म के कुछ महत्वपूर्ण गुरुओं में आदि शंकराचार्य, रामानुज आचार्य तथा माधवाचार्य उल्लेखनीय हैं। गुरु पूर्णिमा को बौद्ध लोग गौतम बुद्ध के सम्मान में भी मनाते हैं। बौद्ध धर्म के अनुयायियों का मानना है कि गुरु पूर्णिमा के दिन ही गौतम बुद्ध ने उप्र. के सारनाथ पर अपना प्रथम उपदेश दिया था।
पं. बिन्द्रेस दुबे ने बताया कि इस दिन कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास का प्राकट्य हुआ। चतुवेर्दो को संहिताबद्व करने के कारण उनका नाम कृष्ण द्वैपादन वेदव्यास पड़ा। उन्होंने चतुवेर्दों के अतिरिक्त 18 पुराणों, उपपुराणों, महाभारत, व्यास संहिता आदि ग्रंथों का प्रणयन किया। वेद व्यास को जगत गुरु भी कहते हैं। वेद व्यास के पिता ऋषि पराशर और माता सत्यवती थी। इस दिन वेद व्यास, शंकराचार्य, ब्रह्मा जी की विशेष पूजा की जाती है। स्नान और पूजा आदि से निवृत्त होकर उत्तम वस्त्र धारण करके गुरु को वस्त्र, फल, फूल, माला व दक्षिणा अर्पण कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए। गुरु का आशीर्वाद ही प्राणी मात्र के लिए कल्याणकारी व मंगल करने वाला होता है। यह पर्व वैष्णव, शैव, शक्ति आदि सभी सम्प्रदायों में श्रद्धापूर्वक उत्साह के साथ मनाया जाता है।