गुरुवार के संयोग में गुरु पूर्णिमा आज, तैयारियां पूरी

लखनऊ। गुरुवार और गुरु पूर्णिमा का संयोग अत्यंत दुर्लभ और अत्यधिक शुभ माना जाता है। जब गुरुवार, जो कि बृहस्पति ग्रह और विष्णु भगवान को समर्पित दिन होता है, और गुरु पूर्णिमा, जो ज्ञान, उपासना और श्रद्धा का पर्व है, एक साथ आते हैं, तो यह काल धार्मिक अनुष्ठानों के लिए सर्वश्रेष्ठ हो जाता है। गुरु पूर्णिमा को लेकर शहर के मंदिरों में तैयारिंयां पूरी कर ली गयी हैें।
इस विशेष दिन श्री सत्यनारायण भगवान की कथा का आयोजन करने से जीवन के सभी क्षेत्रों में चमत्कारिक सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। अगर आपके घर में काफी समय से किसी बात या परेशानी को लेकर तनाव चल रहा है तो उसमें कमी आती है। पूर्णिमा की तिथि हर महीने आती है, मगर साल की कुछ पूर्णिमा तिथि पूजापाठ और अनुष्ठान के लिए विशेष मानी जाती है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा भी उनमें से एक होती है। इस वक्त भगवान विष्णु योग निद्रा में होते हैं और गुरु पूर्णिमा पर उनके ही स्वरूप सत्यनारायण भगवान की पूजा करने से आपके घर में सुख शांति स्थापित होती है और पारिवारिक क्लेश दूर होते हैं।

घर में सुख, शांति और सौभाग्य का वास होता है
गुरु पूर्णिमा का दिन अध्यात्म, श्रद्धा और आत्मविकास का पर्व है, वहीं गुरुवार बृहस्पति देव का दिन होता है जो धर्म, नीति, और सुख-शांति के प्रतीक हैं। इस विशेष दिन घर में श्री सत्यनारायण भगवान की कथा करवाने से न केवल वातावरण में सात्विकता और सकारात्मक ऊर्जा आती है, बल्कि घर में लड़ाई-झगड़े, तनाव और क्लेश जैसी समस्याएं भी दूर होती हैं। यह पूजा गृहस्थ जीवन में समझदारी, सौहार्द और परस्पर प्रेम को बढ़ावा देती है। बच्चों और बुजुर्गों के स्वास्थ्य में भी सुधार देखा जा सकता है।

आर्थिक बाधाएं दूर होकर लक्ष्मी का आगमन होता है
सत्यनारायण भगवान को धन, वैभव और समृद्धि के रक्षक माना जाता है। गुरु पूर्णिमा जैसे शुभ दिन पर कथा आयोजित करने से रुके हुए कार्य पूरे होने लगते हैं, नौकरी और व्यापार में आ रही अड़चनों का समाधान मिलता है। बृहस्पति ग्रह की कृपा से निवेश में लाभ, कर्ज़ से मुक्ति, और आमदनी में निरंतर वृद्धि के योग बनते हैं। यह कथा विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत फलदायी है जो आर्थिक अस्थिरता, उधारी, या नौकरी में असुरक्षा का सामना कर रहे हैं।

गुरु कृपा और आध्यात्मिक विकास

गुरु पूर्णिमा का मूल उद्देश्य ही होता है, गुरु के प्रति श्रद्धा और आत्मा का शुद्धिकरण। इस दिन सत्यनारायण कथा का आयोजन व्यक्ति के आध्यात्मिक उत्थान, साधना में सफलता और चित्त की स्थिरता लाने में सहायक होता है। विद्यार्थियों को विद्या, स्मरण शक्ति और अनुशासन की प्राप्ति होती है, वहीं साधकों को ध्यान, जप, और तप में मन की एकाग्रता मिलती है। यह दिन आत्मबोध और जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

गोमती आरती संग गुरुओं का पंच द्रव्यों से किया जायेगा अभिषेक
लखनऊ। गुरु पूर्णिमा पर शहर में विविध आयोजन किये जायेंगे। मनकामेश्वर मठ मंदिर पर गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मठ के महंत रहे पूज्य गुरुओं का पंच द्रव्यों से अभिषेक किया जाएगा। इस अनुष्ठान में महंत देव्यागिरि मठ के पूर्व महंत को रोली, चंदन अक्षत से तिलक कर पूजन करेंगी। वहीं मठ से दीक्षा लिए भक्त भी गुरु का पूजन कर आशीर्वाद लेने आएंगे। शाम को मनकामेश्वर घाट पर गुरु की स्मृति में आरती होगी। लखनऊ विश्वविद्यालय मार्ग स्थित हनुमान सेतु मंदिर में गुरु पूर्णिमा के एक दिन पूर्व रामायण का पाठ शुरू होगा। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरुजन, मंदिर के पुजारी और गुरुकुल के अंतिम वर्ष के छात्र बजरंगबली और बाबा नीम करोरी महाराज का अभिषेक करेंगे। पर्व को लेकर शहर में तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। इस अवसर पर शहर में जगह-जगह शिष्य गुरु की पादुका पूजन करेंगे। साथ ही आशीर्वाद लेंगे। हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा त्योहार मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा को आषाढ़ पूर्णिमा भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन वेद व्यास जी का जन्म हुआ था, यही कारण है कि इस दिन को वेद व्यास जी की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन पूजा और व्रत करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके अलावा इस दिन गुरुओं की पूजा भी की जाती है।

गुरु पूर्णिमा पर पांच चीजों का करें दान, होगा शुभ
लखनऊ। आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का त्योहार मनाया जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु अपने गुरुओं का आशीर्वाद लेते हैं। यह दिन महर्षि वेदव्यास की जयंती के रूप में मनाते हैं। इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस साल गुरु पूर्णिमा 10 जुलाई 2025 को है। मान्यता है कि गुरु पूर्णिमा के दिन कुछ कार्यों को करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हिंदू धर्म में दान को श्रेष्ठ माना गया है। शास्त्रों के अनुसार, गुरु पूर्णिमा के दिन कुछ चीजों का दान करने से धन-धान्य बढ़ता है और जीवन में खुशहाली आती है।
सनातन धर्म में पूर्णिमा तिथि का विशेष महत्व होता है, लेकिन आषाढ़ माह में पड़ने वाली पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण होती है। यह धार्मिक दृष्टि से बहुत शुभ होती है। इसे गुरु पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। यह दिन गुरु शिष्य के पवित्र संबंध को दशार्ता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु को जीवन को नई दिशा देने के लिए आभार प्रकट करते हैं. गुरु पूर्णिमा की तिथि 10 जुलाई दिन गुरुवार को 1 बजकर 36 मिनट से शुरू होगी जिसका समापन 11 जुलाई देर रात 2 बजकर 6 मिनट तक रहेगा। उदयातिथि पड़ने के कारण यह 10 जुलाई को मनाया जाएगा।

पीले वस्त्रों का दान:
गुरु पूर्णिमा के दिन पीला रंग अत्यंत शुभ माना गया है। यह रंग पवित्रता व समर्पण का प्रतीक है। मान्यता है कि इस दिन पीले रंग के वस्त्र जैसे धोती, कुर्ता आदि का दान करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

धार्मिक ग्रंथ या पुस्तकें दान दें:
गुरु पूर्णिमा के दिन धार्मिक ग्रंथ जैसे रामायण, भगवद्गीता या ध्यान साधना की पुस्तकें दान करना शुभ होता है। मान्यता है कि ऐसा करने से जीवन में उन्नति प्राप्त होती है।

फलों का दान:
गुरु पूर्णिमा के दिन फूलों का दान अत्यंत शुभ माना गया है। इसके अलावा इस दिन अन्न व मिठाई आदि का भी दान किया जा सकता है। मान्यता है कि ऐसा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

चांदी का दान:
गुरु पूर्णिमा के दिन चांदी या ताम्र पात्र का दान अत्यंत शुभ माना गया है। चांदी का संबंध चंद्रमा से है। मान्यता है इस दिन चांदी का दान करने से आयु में वृद्धि व सुख-सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

दक्षिणा के रूप में दान:
गुरु पूर्णिमा के दिन गुरु को अपनी सामर्थ्यनुसार दक्षिणा के रूप में धन, वस्त्र, अन्न या सोने-चांदी का दान करना चाहिए। अगर ऐसा करना संभव न हो तो एक लोटा जल, कुछ फूल और प्रणाम भी सबसे श्रेष्ठ दान माने गए हैं।

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