लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा दिए जा रहे भत्ते कुछ खत्म करने के निर्णय के बाद कर्मचारियों के विरोध के बीच प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बुधवार को कहा कि सिर्फ ऐसे विशेष भत्तों को समाप्त किये जाने पर विचार किया गया है जो केंद्र सरकार में या तो है ही नहीं या खत्म किये जा चुके हैं। राज्य सरकार में यह भत्ते पहले से से अनुमन्य हो रहे थे।
खन्ना ने कहा कि सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग द्वारा जिस तरह सम्मानजनक जीवन स्तर के लिए आकर्षक सैलरी स्लैब की सिफारिश की गयी है, उसे देखते हुए इस प्रकार के भत्तों को, जो केन्द्र सरकार मे हैं ही नही या जिन्हें उसके द्वारा खत्म किया जा चुका है, इन भत्तों को समाप्त किया जाना औचित्यपूर्ण हो चुका था।
खन्ना ने कहा कि इन सभी भत्तों को खत्म किये जाने से राज्य सरकार का अनुमान के हिसाब से लगभग 1,300 करोड़ रुपये का खर्चा कम होगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शासकीय कर्मचारियों को निरन्तर केन्द्रीय कर्मचारियों की तरह सैलरी स्लैब एवं मंहगाई भत्ते की दर अनुमन्य की जा रही है। राज्य सरकार द्वारा सातवें केन्द्रीय वेतन आयोग की संस्तुतियों के अनुरूप राज्य कर्मचारियों को केन्द्रीय कर्मचारियों के समान पुनरीक्षित वेतन संरचना अनुमन्य की जा चुकी है।
वित्त मंत्री ने कहा कि सरकारी कर्मचारी वेतन आयोग की संस्तुतियों को लागू करने की बात अक्सर करते हैं, परंतु जो भत्ते छठे वेतन आयोग में समाप्त कर दिए गए तथा सातवें वेतन आयोग में राज्य कर्मचारियों की स्थिति वेतन के कारण अत्यंत सम्मानजनक हो चुकी है। फिर कोरोना जैसी महामारी के समय में इन भत्तों का दिया जाना उपयुक्त नहीं है। कोरोना विश्व की ऐसी समस्या सामने आई है, जिसके अंत होने का समय निश्चित नहीं है। कर्मचारियों को भी देश-प्रदेश के हालात व परिस्थिति को देखकर महामारी के इस दौर में देश एवं प्रदेश को अपना भरपूर सहयोग देना चाहिए।
खन्ना ने बताया कि कोविड-19 महामारी के कारण सरकार के राजस्व में आयी कमी और साथ ही महामारी के रोकथाम संबंधी कार्यों को सम्पन्न करने के लिए वित्तीय संसाधनों की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित किये जाने के नजर से राज्य सरकार द्वारा अनेक महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये हैं।
उन्होंने कहा कि विधायकों और मंत्रियों के वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती की गयी है। विधायक निधि को एक वर्ष तक के लिये स्थगित किया गया है। अनेक राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों द्वारा भी महामारी की गंभीर स्थिति में स्वेच्छा से अपने एक दिन के वेतन का योगदान उत्तर प्रदेश कोविड केयर फण्ड में किया गया है।