लखनऊ। यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन पांच मई से शुरू हो जायेगा। कॉपी जांचने का काम 25 मई तक चलेगा। सरकार की ओर से यह भी दावा किया गया है कि कोरोना वायरस के कारण शैक्षिक सत्र में कोई देरी नहीं होगी। वह नियमित होगा। कोरोना के कारण जो स्थिति सामने आयी है, उसमें से 25 से 20 दिन में कॉपियां जांचने का अनुमान है।
ऐसे में परिणाम जून से पहले आना मुश्किल है। यूपी बोर्ड परीक्षा 2020 के परिणाम घोषित होने के बाद, छात्र आधिकारिक वेबसाइट पर नतीजे देख सकते हैं। नियमित अपडेट के लिए छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे वेबसाइट upmsp.edu.in देखते रहें।
पिछले साल यूपी बोर्ड 10वीं 12वीं रिजल्ट अप्रैल के अंतिम सप्ताह में जारी कर दिया गया था।
इस बार 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षा में पंजीकृत 56 लाख से ज्यादा छात्र-छात्रा पंजीकृत थे। किन्तु लगभग 4.5 लाख से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने परीक्षा छोड़ दी। करीब 3.5 करोड़ कॉपियां जांची जानी है। पूरे प्रदेश में 253 मूल्यांकन केंद्र बनाए गए हैं। कॉपियों के मूल्यांकन के लिए प्रदेश भर के लगभग एक लाख 40 हजार परीक्षक लगाए गए हैं।
शिक्षकों के आवास पर भेजकर जंचवायी जाएं कॉपियां
इधर, शिक्षक संगठन ने उप मुख्यमंत्री सहित आलाधिकारियों को पत्र लिखकर शिक्षक के आवास पर उत्तर पुस्तिकाओंं को भेजकर मूल्यांकन कराने की मांग दोबारा की हैं। प्रधानमंत्री द्वारा दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिए जाने के बाद वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षक के घर उत्तर पुस्तिकाएं भेज कर मूल्यांकन कराये जाने के लिए एक बार पुन: प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा, शिक्षा निदेशक माध्यमिक/सभापति तथा सचिव, माध्यमिक शिक्षा परिषद को पत्र लिख कर उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष व विधान परिषद में नेता शिक्षक दल ओम प्रकाश शर्मा ने यह मांग की है।
संगठन के प्रदेशीय मंत्री और प्रवक्ता डॉ. आरपी मिश्र ने बताया कि अध्यक्ष ओेम प्रकाश शर्मा ने अपने पत्र में लिखा है कि एक ओर प्रधानमंत्री ने दो सप्ताह के लिए लॉकडाउन बढ़ा दिया है वही दूसरी ओर आपकी ओर से हाई स्कूल/इण्टर की 2020 की परीक्षाओं के मूल्यांकन पांच मई से कराये जाने की घोषणा भी कर दी गई है।
कई जिलों से सूचनाएं प्राप्त हो रही हैं कि जिलों में सोशल डिस्टेसिंग की दृष्टि से कोई प्रबन्ध नही किया गया है। इसी प्रकार परीक्षकों की सुरक्षा का भी कोई प्रबंध नही है। जो परीक्षक दीर्घकालीन लॉकडाउन के कारण दूर-दूर के जिलों में अपने परिजनों से मिलने गए थे, वह लॉकडाउन के कारण वहीं पर फंसे हुए है।