हिंदू धर्म में कोई भी तिथि त्यौहार महज किसी घटना का प्रतीक भर नहीं होता बल्कि उसकी धार्मिक, पौराणिक स्थितियां और मान्यताएं भी होती हैं।
होली यूं तो अच्छाई की बुराई पर जीत की एक घटना का प्रतीक है और यह सबक भी कि कितनी भी कष्टदायक परिस्थितियां हों फिर भी सच का साथ नहीं छोड़ना चाहिए। लेकिन होली सिर्फ हिरण्यकश्यप द्वारा अपने भक्त बेटे प्रहलाद को अपनी बहन होलिका के जरिये जलाकर मरवा डालने की कहानीभर नहीं है। इसके पीछे कई संवेदनशील ग्रह नक्षत्रों की स्थितियां भी नत्थी होती हैं। इसलिए जो लोग होली को धर्मिक नजरिये से देखते हैं, उन्हें इस बात को भी ध्यान में रखना चाहिए। जैसा कि हम सब जानते हैं होली हिंदू पंचांग के मुताबिक फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिन मनायी जाती है।
लेकिन होली महज एक दिन नहीं होती। वास्तव में फाल्गुन मास में शुक्ल पक्ष की अष्टमी के साथ ही होलाष्टक शुरु हो जाता है। यह वह समय होता है, जो किसी भी शुभ कार्य के लिए उचित नहीं माना जाता। ज्योतिषीय गणना के हिसाब से देखें तो इन आठ दिनों में तमाम नकारात्मक ग्रह नक्षत्रीय स्थितियां बनती हैं और इस दौरान ग्रहों का स्वभाव बहुत उग्र होता है। इसलिए माना जाता है कि इस दौरान किया गया कोई भी शुभ कार्य फलित नहीं होता। हां, कई बार ये ग्रह नक्षत्रों की ज्यामितीय स्थितियां इतनी बुरी नहीं होतीं कि वे अपना तीव्र नकारात्मक असर छोड़ें।
फिर भी इसकी आशंका तो बनी ही रहती है, ऐसे में इस नुकसान से बचने का सरल तरीका यही है कि होली के आठ दिन पहले से ही सभी तरह के शुभ कार्यों को स्थगित कर देना चाहिए। होलिका दहन के बाद ही किसी शुभ कार्य को सम्पन्न किया जाना चाहिए। हो सकता है कई बार इसकी अनदेखी करने से कोई बड़ी बात न हो लेकिन कई बार इसका नुकसान भी हो सकता है।
अगर धार्मिक मान्यताओं पर ध्यान दें तो होलाष्टक के समय शारीरिक संबंध बनाने से परहेज करना चाहिए। क्योंकि इस दौरान गर्भवती होने वाली स्त्री को तमाम तरह की परेशानियां हो सकती हैं। सबसे बड़ी आशंका गर्भ में पलने वाले शिशु की शारीरिक व्याधियां हो सकती हैं। हालांकि कई लोग इन बातों को अंधविश्वास मानते हैं, लेकिन साइंस साबित कर चुकी है कि ग्रह नक्षत्रों की चाल का हमारे जीवन और हमारे शरीर पर भरपूर असर पड़ता है।
धर्मभीरू लोगों को इसलिए भी इस सबसे बचना चाहिए क्योंकि मान्यता है कि इससे फाल्गुन पूर्णिमा को की जाने वाली पूजा का लाभ नहीं मिलता। इस दौरान कोई बड़ी खरीदारी यानी ऐसा कुछ भी काम करने से बचना चाहिए, जिससे घर की लक्ष्मी बाहर जाए। क्योंकि मान्यता है कि इस दौरान यानी होलाष्टक के समय घर से लक्ष्मी बाहर जाती है तो आर्थिक स्थितियां लगातार खराब रहने की आशंका रहती है।





