फिल्म एक चतुर नार को प्रमोट करने शहर पहुंचे कलाकार
लखनऊ। निर्देशक उमेश शुक्ला के निर्देशन में बनी अभिनेत्री दिव्या कुमार खोसला और नील नितिन मुकेश की फिल्म ‘एक चतुर नार’ को प्रमोट करने निर्देशक उमेश शुक्ला और दिव्या कुमार खोसला राजधानी लखनऊ पहूंचे। फिल्म को लेकर दिव्या ने फिल्म की शूटिंग के अनुभव से लेकर कहानी तक, स्टारकास्ट ने कई पहलुओं पर बात की है।
फिल्म की एक्ट्रेस दिव्या कुमार खोसला ने अपने किरदार के बारे में बात करते हुए कहा, ‘फिल्म में मैं नाले के किनारे रहने वाली स्लम्स की लड़की का किरदार कर रही हूं। अपने रोल में खुद को ढालने के सवाल पर दिव्या ने कहा, ‘दरअसल फिल्म के हर किरदार में शेड्स हैं क्योंकि कोई भी पूरा अच्छा या बुरा नहीं है। डाइरेक्टर हमेशा सेट पर कहते थे कि मैं बड़ी कमीनी लड़की हूं। साथ ही भाषा भी बड़ी चीज थी। यूपी की भाषा को अपनाना पड़ा क्योंकि मेरा पंजाबी ऐक्सेंट स्ट्रॉन्ग है। धीरे-धीरे खुद को उसमें ढाला। शुरूआत में नाले की स्मेल आती थी, लेकिन धीरे-धीरे हम उसमें इतने रंग गए कि वो महसूस ही नहीं हुई। निर्देशक उमेश शुक्ला ने बताया कि उन्होंने दिव्या को इस रोल के लिए इसलिए चुना क्योंकि उन्हें उनमें यह क्षमता दिखाई दी। मैंने दिव्या को बुलाया और कहा कि यह रोल उन्होंने पहले नहीं किया, लेकिन मेहनत करेंगी तो शानदार होगा। फिर मैंने उन्हें स्क्रिप्ट सुनाई और उन्हें यह बहुत पसंद आई, उन्होंने साझा किया।
चैलेंजिंग था गंदे नाले के पास सीन शूट करना
दिव्या ने बताया कि इस शूटिंग के दौरान उनके लिए सबसे चैलेंजिंग था गंदे नाले के पास सीन शूट करना। उस पर भी कमाल देखिए कि उन्हें ठीक नाले के पास खड़ा होना था और डायरेक्टर उमेश शुक्ला ने इस बारे में पहले उन्हें कोई हिंट नहीं दी थी. दिव्या ने बताया कि उनके दिमाग में सबसे पहले यह आया था कि कहीं वो गलती से भी उसमें गिर ना जाएं. दिव्या ने कहा, मैं इस मामले में बहुत ही क्लमसी हूं इसलिए अचानक किसी चीज से टकरा जाना या गिर जाना मेरे लिए कोई बड़ी बात नहीं है। बस इसी वजह से मुझे नाले में गिरने का बड़ा खौफ था लेकिन सबकुछ अच्छे से हो गया।
पीरियड फिल्म करने का मौका मिले
दिव्या ने कहा, ‘अगर कोई बहुत बुरा कमेंट करता है मेरे इंस्टाग्राम पर तो मैं सीधे ब्लॉक कर देती हूं। शुरूआत में ऐसा होता था कि सोचती थी लोग मुझे ऐसा क्यों कह रहे हैं। तब जॉन अब्राहम ने कहा था कि मैं कभी कमेंट्स नहीं पढ़ता। ये बहुत हेल्दी सलाह थी। इतने लोग हैं, बातें करेंगे ही। मुझे अपने अंदर का कॉन्फिडेंस पता है, उसे कोई डगमगा नहीं सकता। दिव्या ने इस बारे में बात करते हुए कहा, ‘पहले मैं कहती थी कि मुझे कॉमेडी फिल्म करनी है। वो मौका मुझे एक चतुर नार में मिला, इसके लिए मैं बहुत खुश हूं। आम तौर पर फीमेल एक्ट्रेसेस को ऐसे रोल्स कम मिलते हैं। अब मैं बस ये चाहती हूं कि मुझे पीरियड फिल्म करने का मौका मिले।’
किरदार में ढलने के लिए असली जिंदगी का अनुभव
एक चतुर नार में दिव्या एक झुग्गी में रहने वाली महिला की भूमिका निभा रही हैं। इस किरदार को असली बनाने के लिए उन्होंने केवल स्क्रिप्ट पर भरोसा नहीं किया, बल्कि खुद उस जिंदगी को जिया। लखनऊ की एक झुग्गी में बिना मेकअप, साधारण सलवार-कमीज और गले में काले धागे के साथ कुछ दिन बिताए, ताकि वह किरदार की भावनाओं और परिस्थितियों को गहराई से समझ सकें।





