नई दिल्ली। कोरोना वायरस का संक्रमण होने पर प्रतिरोधक क्षमता में कमी और कुछ दवाओं को रोके जाने के कारण मधुमेह रोगियों में खतरा ज्यादा होता है। यह बात शुक्रवार को विशेषज्ञ चिकित्सकों ने कही। दिल्ली सरकार द्वारा उच्च न्यायालय में सौंपे गए सेरोलॉजिकल निगरानी रिपोर्ट के मुताबिक यह बताया गया कि मधुमेह रोगियों में संक्रमण के कारण खतरा ज्यादा होता है। फोर्टिस अस्पताल वसंत कुंज में एंडोक्रायनोलॉजी के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. विमल गुप्ता ने कहा कि कोरोना वायरस फेफड़े को संक्रमित करने के अलावा अग्नाशय को भी प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा, देखा गया है कि इसके कारण कुछ रोगियों में अग्नाशयशोथ हो जाता है। अग्नाशय इंसुलिन स्रवित करता है, जो ग्लूकोज के स्तर को नियमित करने में सहायक होता है लेकिन वायरस स्रवण में कमी लाता है जिससे रोगियों में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। कई रोगी संक्रमित होने के बाद पहली बार मधुमेह का शिकार होते हैं। गुप्ता ने कहा कि भारत में अधिकतर मधुमेह रोगियों में मोटापा एवं अन्य बीमारियां होती हैं।
उन्होंने कहा, अगर किसी को कोरोना वायरस हुआ है तो उसे एसजीएलटी2 निरोधी एवं अन्य दवाएं नहीं दी जाती हैं जो वजन को कम करती हैं और शर्करा के स्तर को नियमित करती हैं। जब हम ये दवाएं बंद करते हैं तो मधुमेह का स्तर बढ़ जाता है। सोडियम ग्लूकोज को-ट्रांसपोर्टर-2 (एसजीएलटी2) दवा का इस्तेमाल टाइप टू डायबिटीज में किया जाता है। राजीव गांधी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के निदेशक डॉ. बी.एल. शेरवाल ने कहा कि कोविड-19 जैसी बीमारियों में तनाव के कारण शर्करा का स्तर बढऩे की संभावना होती है।
उन्होंने कहा, जिन रोगियों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, वायरस के कारण उनको खतरा ज्यादा होता है। इस तरह के रोगियों में मृत्यु दर अधिक होगी क्योंकि उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम होती है और अधिक देखभाल करने की जरूरत होती है। डॉ. देशवाल ने कहा, इस तरह के रोगियों के इलाज में अतिरिक्त प्रयास करना होता है। अगर हम मरने वाले रोगियों के आंकड़े देखें तो उनमें से अधिकतर में अनियंत्रित मधुमेह की शिकायत थी।