प्रकृति के बिना कोई जीवन संभव नहीं पं. गोविंद मिश्रा
मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं नंदोत्सव और गिरिराज पूजा के संदेश : पं. गोविंद मिश्रा
लखनऊ। नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की…, मेरे छोटो सो गोपाल, जिनके घूंघर जैसे बाल… जैसे भजनों पर भक्त जमकर झूमे। मौका था विश्वनाथ मंदिर के 34वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में श्रीरामलीला पार्क, सेक्टर – ‘ए’, सीतापुर रोड योजना कॉलोनी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन मंगलवार को मनाए गए नंद महोत्सव का। वहीं भक्तों ने गिरिराज पूजन कर छप्पन भोग चढ़ाया।
कथाव्यास आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने नंद महोत्सव और गिरिराज पूजा का रसपूर्ण प्रसंग सुनाकर सभी भक्तों को भक्तिरस में सराबोर कर दिया। पूरे पंडाल में उत्सव का ऐसा माहौल बना कि उपस्थित जनसमूह भावविभोर होकर झूम उठा। ढोल-नगाड़ों और पारंपरिक गीतों के बीच श्रद्धालु झूमते रहे। कथाव्यास ने कहा कि आज समाज तेजी से बदल रहा है, लेकिन आध्यात्मिकता, प्रेम और परस्पर सहयोग जैसे मूल्य हमेशा प्रासंगिक रहेंगे। नंदोत्सव और गिरिराज पूजा के संदेश मानवता के लिए प्रेरणास्रोत हैं।
कथाव्यास आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने कथा सुनाते हुए नंद उत्सव का दिव्य प्रसंग और भगवान कृष्ण के बाल रूप की लीलाओं का भावपूर्ण वर्णन किया। उन्होंने बताया कि नंद महाराज के यहाँ कृष्ण जन्म के उपरांत पूरा गोकुल आनंद और प्रेम में डूब गया। गोकुलवासियों ने जिस तरह प्रेम, उत्साह और भक्ति के साथ नंदोत्सव मनाया, वही भाव वर्तमान समाज में भी अपनाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि नंदोत्सव केवल आनंद का प्रतीक नहीं, बल्कि प्रेम, सौहार्द और सामाजिक एकता का संदेश भी देता है। बालरूप श्रीकृष्ण की झांकी के दर्शन मात्र से हर मन में उत्साह और ऊर्जा का संचार होता है। आचार्य पं. गोविंद मिश्रा ने गिरिराज पूजा की कथा का वर्णन करते हुए बताया कि किस प्रकार श्रीकृष्ण ने इंद्र के अभिमान को दूर कर ग्रामवासियों की रक्षा की। उन्होंने कहा कि गिरिराज पूजा हमें प्रकृति संरक्षण और पर्यावरण के महत्व का संदेश देती है। आज जब मनुष्य प्रकृति से दूर होता जा रहा है, तब गिरिराज प्रसंग हमें यह याद दिलाता है कि प्रकृति के बिना कोई जीवन संभव नहीं।





