हाईकोर्ट का राहत देने से इंकार
विधि संवाददाता
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने एक किसान के ट्रैक्टर की मनमाने तरीके से नीलामी के मामले में राज्य सरकार और यूनियन बैंक आॅफ इंडिया पर लगे 10 लाख रुपये के हर्जाने के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया है। यह आदेश जस्टिस रितुराज अवस्थी और जस्टिस दिनेश कुमार सिंह की बेंच ने राज्य सरकार और यूनियन बैंक की अलग-अलग अपीलों को खारिज करते हुए पारित किया। उक्त अपीलों में एकल पीठ के 18 जुलाई 2012 के आदेश को चुनौती दी गयी थी।
एकल पीठ ने पाया था कि बाराबंकी निवासी किसान जयसिंह ने वर्ष 2000 में ट्रैक्टर खरीदने के लिए यूनियन बैंक से दो लाख रुपये कर्ज लिया था। बाद में वह किस्तों का भुगतान नहीं कर सका। इस दौरान वर्ष 2008 में कर्ज माफी योजना के तहत उसके कर्ज को माफ कर दिया गया व उस पर मात्र 47 हजार 59 रुपये का कर्ज बकाया रह गया। कर्ज के बचे हुए इस हिस्से के लिए जयसिंह का ट्रैक्टर वर्ष 2009 में नीलाम कर दिया गया। एकल पीठ ने पाया था कि वसूली की प्रक्रिया मनमाने तरीके से की गयी।
नीलामी की तिथि को भी अधिसूचित नहीं किया गया। एकल पीठ ने कहा कि पूरी प्रक्रिया को देखकर लगता है कि याची की संपत्ति हड़पने के लिए ऐसा किया गया। एकल पीठ ने किसान को 10 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश बैंक, राजस्व अधिकारियों और राज्य सरकार को दिया। इस आदेश को राज्य सरकार ने वर्ष 2014 में व बैंक ने 2012 में चुनौती देते हुए अपीलें दाखिल कीं। इन्हें कोर्ट ने अब खारिज कर दिया है।